नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली-एनसीआर के लगभग 85 प्रतिशत निवासी जिनके पास डीजल से चलने वाला निजी या सामुदायिक जनरेटर है, वे इन्हें सीएनजी में बदलवाने के इच्छुक नहीं हैं। डिजिटल समुदाय-आधारित एक प्लेटफॉर्म द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है।
‘लोकलसर्कल्स’ के सर्वेक्षण में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने प्रदूषण से मुकाबला करने के लिए चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत एक अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक डीजल जनरेटर के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसके बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हैं।
सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, फ़रीदाबाद और गाजियाबाद शहरों में रहने वाले 22,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं ली गईं।
एनसीआर में आवश्यक क्षेत्रों में बिजली व्यवधानों से संबंधित चिंताओं को कम करने के लिए, सीएक्यूएम ने आपातकालीन सेवाओं की नौ महत्वपूर्ण श्रेणियों में डीजल जनरेटर के उपयोग के लिए सितंबर में 31 दिसंबर तक तीन महीने की छूट दी थी।
सर्वेक्षण में यह जानने की कोशिश की गई कि ” डीजल जनरेटर इस्तेमाल पर एक अक्टूबर से लगे प्रतिबंधों का आप और आपकी सोसायटी कैसे अनुपालन कर रही है?”
इसमें कहा गया है कि इस सर्वेक्षण से पता चला है कि (व्यक्तिगत या सामुदायिक स्तर पर) डीजल जनरेटर का उपयोग करने वाले दिल्ली-एनसीआर के निवासियों में से केवल 15 प्रतिशत को लगता है कि 31 दिसंबर, 2023 तक इन्हें सीएनजी बदलना चाहिए, जबकि 85 प्रतिशत ऐसा नहीं मानते।”