देश की खबरें | बेंगलुरु अनाथालय विवाद: कानूनगो पर जबरन घुसने, अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला दर्ज

बेंगलुरु, 24 नवंबर बेंगलुरु पुलिस ने एक अनाथालय में कथित रूप से जबरन घुसने और यह बयान देने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के खिलाफ शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की कि इस अनाथालय में बच्चे ‘‘मध्यकालीन तालिबानी जीवन’’ जी रहे हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
दारुल उलूम सैय्यादिया यतीमखाना उस समय सुर्खियों में आया जब कानूनगो के नेतृत्व में एनसीपीसीआर के दल ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी (पूर्व) एवं अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में 19 नवंबर को अनाथालय का औचक निरीक्षण किया।
इसके बाद अनाथालय के सचिव अशरफ खान ने डीजे हल्ली पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि कानूनगो ने मानवाधिकार आयोग से होने का दावा करते हुए और बिना अनुमति के 19 नवंबर को परिसर में प्रवेश किया।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कानूनगो ने अपने फोन पर एक वीडियो भी रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर साझा किया।
खान ने एनसीपीसीआर अध्यक्ष पर अनाथालय में रहने वाले बच्चों के जीवन की तुलना तालिबान शासन से करने का भी आरोप लगाया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘प्राप्त शिकायत के आधार पर एनसीपीसीआर अध्यक्ष के खिलाफ 21 नवंबर को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 34 (साझा इरादे को पूरा करने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य), 447 (आपराधिक जबरन प्रवेश), 448 (घर में जबरन प्रवेश), और 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना है) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘यह मेरे संज्ञान में आया है कि कर्नाटक सरकार ने मेरे खिलाफ एक फर्जी मामला दर्ज किया है। मैं एनसीपीसीआर अध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्य के तहत अनाथालय का दौरा करने गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे साथ कर्नाटक राज्य सरकार के अन्य अधिकारी भी थे। इसके बावजूद उन्होंने आपराधिक जबरन प्रवेश का मामला दर्ज किया है… अगर आप बच्चों को अवैध रूप से अपने घर में रखते हैं और सरकार के नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो हम फिर से ऐसा करते रहेंगे।’’
एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव से भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि किशोर न्याय अधिनियम का अनुपालन न करने के आरोप में बेंगलुरु स्थित अनाथालय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।
एनसीपीसीआर ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा कि अनाथालय किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत पंजीकृत नहीं है और उसके पास इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को रखने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है।
एनसीपीसीआर के अनुसार, अनाथालय में लगभग 100 वर्ग फुट के पांच कमरे हैं और प्रत्येक कमरे में आठ बच्चों के लिए चार बंक बेड (ऐसे पलंग जिनमें ऊपर और नीचे दो बिस्तर लगाने की सुविधा होती है) और गलियारे में रखे चार बंक बेड पर 16 बच्चे सोते हैं। इसमें कहा गया है कि प्रार्थना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दो बड़े कमरों में लगभग 150 बच्चे सोते हैं।
एनसीपीसीआर ने अपने पत्र में कहा, ‘‘इनमें से किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जाता है, जो उनके शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। अनाथालय में खेल सामग्री या टीवी जैसी कोई मनोरंजक सुविधा उपलब्ध नहीं है। अनाथालय में बच्चों को जिस स्थिति में रखा जाता है, वह किशोर न्याय कानून, 2015 की धारा 75 का उल्लंघन है।’’
आयोग ने पत्र जारी होने के सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।

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