देश की खबरें | आपातकाल के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का सबसे बड़ा स्थानांतरण: न्यायमूर्ति चौधरी

कोलकाता, 21 नवंबर कलकत्ता उच्च न्यायालय से पटना उच्च न्यायालय स्थानांतरित किए गए न्यायमूर्ति बिबेक चौधरी ने कहा कि उनका तबादला शक्ति के कार्यपालिका से न्यायपालिका के हाथों में स्थानांतरित होने संकेत देता है।
न्यायमूर्ति चौधरी ने सोमवार को अपने विदाई समारोह में कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान, कार्यपालिका ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के कम से कम 16 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया था और अब 48 वर्षों के बाद, कॉलेजियम ने 24 न्यायाधीशों का स्थानांतरण किया है।
इस कार्यक्रम में बार के सदस्य और कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मौजूद थे।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि लिहाज़ा वह शक्ति के कार्यपालिका के हाथों से न्यायपालिका के सर्वोच्च संस्थान को स्थानांतरण के शुरुआती लोगों में शुमार हैं।
उन्होंने कहा कि 28 जनवरी 1983 को केंद्र ने फैसला किया था कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश राज्य के बाहर से होंगे और उच्च न्यायालय के एक तिहाई न्यायाधीश राज्य के बाहर से होने चाहिए।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा, “ मुझे लगता है कि हमारा स्थानांतरण उस नीति के आरंभ और कार्यान्वयन की शुरुआत है। ”
उन्होंने कहा कि उन्हें पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करना उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की इच्छा थी। उन्होंने कहा कि जब उन्हें उच्चतर न्यायपालिका में पदोन्नति दी गई थी तो वह जानते थे कि संविधान के अनुच्छेद 222 के तहत एक न्यायाधीश का तबादला किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा, “लेकिन पूरी विनम्रता के साथ, मुझे कहना होगा कि न्यायिक व्यवस्था हैं जो कहती हैं कि अनुच्छेद 222 पर गौर किया जाना चाहिए और बहुत संयमित तरीके से विचार किया जाना चाहिए।”
उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने तीन अगस्त को न्यायमूर्ति चौधरी को पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था।
प्रस्ताव पर पुनर्विचार के लिए न्यायमूर्ति चौधरी के अनुरोध को कॉलेजियम ने अस्वीकार कर दिया और 10 अगस्त को उनके स्थानांतरण की फिर से सिफारिश की थी।
पटना उच्च न्यायालय में उनके स्थानांतरण की गजट अधिसूचना 13 नवंबर को की गई थी।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने करीब 6,000 मुख्य मामलों और इतनी ही संख्या में आवेदनों का निपटारा किया।

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