देश की खबरें | अस्पतालों में सुपरबग समाप्त करने के लिए पानी से ज्यादा प्रभावी नहीं रहे क्लोरीन रोगाणुनाशक: अध्ययन

नयी दिल्ली, 22 नवंबर दुनियाभर के अस्पतालों में फर्श साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले प्रमुख क्लोरीन रोगाणुनाशक, इनसे होने वाली बीमारियों की रोकथाम में अब प्रभावशाली नजर नहीं आते। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
ब्रिटेन में ‘यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ’ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अनेक अस्पतालों में इस्तेमाल ब्लीच की अधिक सांद्रता के बाद भी क्लॉस्ट्रिडियोआइड डिफिसिल (सी डिफ) नामक रोगाणु पर कोई असर नहीं पड़ता।
उन्होंने पाया कि फर्श की सफाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले क्लोरीन रसायन रोगाणुओं को समाप्त करने में बेअसर रहते हैं और पानी की तुलना में अधिक प्रभावी रोगाणुनाशक का काम नहीं करते।
‘माइक्रोबायलॉजी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि अस्पतालों में काम करने वाले और वहां इलाज कराने वाले लोग अनजाने में सुपरबग की चपेट में आने के जोखिम में होते हैं।
दुनिया भर में रोगाणुनाशक रसायनों के अधिक इस्तेमाल से केवल रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) में वृद्धि होती है और अनुसंधानकर्ता क्लीनिकल ​​​​वातावरण में संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए सी. डिफ रोगाणुओं को निष्प्रभावी करने के वास्ते वैकल्पिक रणनीतियों को खोजने के लिहाज से तत्काल अनुसंधान की जरूरत बताते हैं।
प्लाईमाउथ यूनिवर्सिटी की चिकित्सा छात्रा हुमैरा अहमद के साथ अध्ययन करने वाली एसोसिएट प्रोफेसर टीना जोशी ने कहा, ‘‘रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के मामलों में वृद्धि के साथ मानव स्वास्थ्य को सुपगबग से होने वाले खतरे बढ़ रहे हैं।’’
सी डिफ एक ऐसा रोगाणु है जिससे अतिसार, कोलाइटिस (आंत की समस्या) और आंत संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं और इससे हर साल दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं।
सुपरबग रोगाणुओं, जीवाणुओं, परजीवी और कवक के स्वरूप हैं जो उनके कारण होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल में लाई जाने वाली अधिकतर एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।

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