देश की खबरें | क्रूरता और दहेज मृत्यु के आरोपी को अदालत ने बरी किया

नयी दिल्ली, 20 नवंबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को क्रूरता और दहेज मृत्यु के आरोपों से बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में ‘‘बुरी तरह विफल’’ रहा कि आरोपी ने अपनी पत्नी के साथ कोई क्रूरता की या उसका उत्पीड़न किया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनिका आरोपी जितेंद्र गहलोत के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थीं।
संबंधित व्यक्ति के खिलाफ यहां डाबरी थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता किया जाना) और 304 बी (दहेज मुत्यु) के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, गहलोत की पत्नी नीलम ने 24 जनवरी 2018 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वह दहेज के लिए क्रूरता और उत्पीड़न की शिकार थी। आरोपी ने 31 जुलाई 2017 को नीलम से शादी की थी।
अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही पर गौर करते हुए अदालत ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि आरोपी जितेंद्र गहलोत या उससे संबंधित किसी भी व्यक्ति ने महिला से किसी संपत्ति या मूल्यवान वस्तु की कोई गैरकानूनी मांग की थी।’’
शराब पीने के बाद पत्नी को पीटने और हर तरह का उत्पीड़न करने के आरोप के संबंध में अदालत ने कहा कि मृतका की मां, बेटी और भाई के बयानों में ‘‘खामियां तथा विसंगतियां’’ हैं।
इसमें कहा गया कि मृतका की मां ने पिटाई की कोई घटना नहीं देखी और इस संबंध में उसकी गवाही केवल ‘‘कही-सुनी’’ बातों पर आधारित है।
अदालत ने कहा कि मृतका के भाई बबलू ने कहा था कि उसकी बहन ने पति द्वारा पिटाई किए जाने और यातना दिए जाने के बारे में उससे बात की थी। इसने कहा कि भाई ने यह भी कहा कि उसकी बहन ने उसे पति के यहां से ले जाने के लिए भी कहा था तथा यह भी कहा था कि ऐसा नहीं करने पर वह मर जाएगी।
अदालत ने कहा कि भाई ने इस बारे में नहीं बताया कि बहन द्वारा मदद की गुहार लगाए जाने के बाद उसने क्या कदम उठाए।
इसने कहा, ‘‘यही बात इस अदालत को यह निष्कर्ष निकालने के लिए मजबूर करती है कि इस गवाह (भाई) ने महिला द्वारा की गई मदद की गुहार पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया, या कार्रवाई क्यों नहीं की। एक भाई की ओर से ऐसा आचरण अस्वाभाविक है। इसलिए गवाही विश्वसनीय नहीं लगती।’’

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