नयी दिल्ली, 22 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने पैरा-तैराक और अर्जुन पुरस्कार विजेता प्रशांत कर्माकर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) द्वारा उन्हें तीन साल के लिये निलंबित किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी।
समिति ने 2017 के राष्ट्रीय पैरा-तैराकी चैंपियनशिप में महिला तैराकों का कथित तौर पर वीडियो बनाने के सिलसिले में उन्हें निलंबित किया था।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रशिक्षक के रूप में भी आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्य है और अनुशासनात्मक समिति द्वारा लिया गया निर्णय अनुचित या अतार्किक नहीं था।
अदालत ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, “ वर्तमान मामले के तथ्य बताते हैं कि याचिकाकर्ता प्रशिक्षक के खिलाफ उसके और उसके सहयोगी द्वारा ली गई महिला तैराकों की वीडियो और तस्वीरों के संबंध में शिकायतें थीं। याचिकाकर्ता ने स्टेडियम में मौजूद लोगों के साथ अभद्र व्यवहार किया।”
अदालत ने पाया कि कर्माकर ने पीसीआई अध्यक्ष और उसके अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया और केंद्रीय निकाय के हितों के विपरीत प्रेस साक्षात्कार भी दिए।
अदालत ने आदेश दिया, “परिणामस्वरूप, लंबित आवेदन(यदि कोई हो) सहित रिट याचिका खारिज की जाती है।”
अदालत ने कहा कि जो बात एक खिलाड़ी पर लागू होती है वह स्वत: प्रशिक्षक पर भी लागू होगी और यह नहीं कहा जा सकता कि प्रशिक्षक को सामान्य आचार संहिता का पालन नहीं करना चाहिए।