देश की खबरें | अदालत ने उन कैदियों को ई-मुलाकात सुविधा देने पर रिपोर्ट मांगी, जिनके परिजन दिल्ली से बाहर रहते हैं

नयी दिल्ली, 24 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और जेल प्राधिकारियों से इस बारे में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है कि ई-मुलाकात की सुविधा उन सभी कैदियों को क्यों नहीं दी जानी चाहिए जिनके रिश्तेदार राष्ट्रीय राजधानी से बाहर रहते हैं।
ई-मुलाकात प्रणाली के माध्यम से किसी कैदी के परिवार का एक सदस्य आधिकारिक वेबसाइट पर खुद को पंजीकृत करने और संबंधित प्राधिकारियों से अनुमति लेने के बाद वीडियो कॉल के माध्यम से उससे बात कर सकता है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि जेल में कैदियों से मिलने के लिए उनके रिश्तेदारों को अपने मूल स्थान से दिल्ली आना पड़ता है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘‘प्रतिवादियों को इस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया जाता है कि ई-मुलाकात की सुविधा समान स्थिति वाले उन सभी कैदियों को क्यों नहीं दी जा सकती, जिनके रिश्तेदार दिल्ली में नहीं रहते और जिन्हें मुलाकात के लिए अपने मूल स्थान से दिल्ली आना पड़ता है।’’
तिहाड़ जेल में बंद एक कैदी ने याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और जेल महानिदेशक को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है कि उसे अपने परिवार या दोस्तों के साथ हर सप्ताह दो ई-मुलाकात करने की अनुमति दी जाए ताकि वह गंभीर रूप से बीमार अपनी मां से मिल सके और अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रख सके। अदालत ने इसी याचिका पर यह आदेश दिया।
कैदी ने पिंजरा तोड़ कार्यकर्ता नताशा नरवाल के मामले में पारित एक आदेश के आधार पर उसे हर दिन पांच मिनट टेलीकॉल की अनुमति दिए जाने का भी अनुरोध किया।
पिंजरा तोड़, दिल्ली भर के कॉलेजों की महिला विद्यार्थियों और पूर्व विद्यार्थियों का एक समूह है।
कैदी की याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने पहले ही मई में प्राधिकारियों को एक अभ्यावेदन दिया था जिसमें कहा गया था कि उसके परिवार में केवल उसकी पत्नी एवं मां हैं और वे दोनों बीमार हैं तथा दिल्ली से बाहर रहती हैं, इसलिए उसे ई-मुलाकात की सुविधा दी जाए।
सरकार के वकील ने कहा कि अभ्यावेदन पर तीन सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की।

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