जरुरी जानकारी | अदालत ने दिल्ली जिमखाना क्लब पर 2.92 करोड़ रुपये की कर मांग को बरकरार रखा

नयी दिल्ली, 17 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने जिमखाना क्लब पर 2.92 करोड़ रुपये का विलासिता कर लगाने के दिल्ली सरकार के 2014 के फैसले को बरकरार रखा है।
अदालत ने दिल्ली विलासिता कर अधिनियम के तहत कर मांग को चुनौती देने वाली क्लब की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायाधीश यशवंत वर्मा और न्यायाधीश रवीन्द्र डुडेजा की पीठ ने कहा, ‘‘ हालांकि हम लागू आदेश को बरकरार रखते हैं और उसे दी गयी चुनौती को खारिज करते हैं, लेकिन आयुक्त (मनोरंजन और विलासिता कर) का निर्णय जो हमारे सामने आया है, उसे 2012 के संशोधन अधिनियम के प्रकाशन के बाद किसी भी मूल्यांकन अवधि के लिये एक मिसाल के रूप में नहीं लिया जाएगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘किसी भी आकलन या लंबित कार्यवाही पर ऊपर दी गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाना चाहिए।’’
याचिका जुलाई, 2014 में दायर की गई थी। उस समय उच्च न्यायालय ने क्लब को तीन लेखा वर्षों – 2009-10, 2010-11 और 2011-12 के लिये विलासिता कर के रूप में कुल 2.92 करोड़ रुपये में से 1.45 करोड़ रुपये सरकार को भुगतान करने को कहा था।
अदालत ने क्लब से उसकी याचिका पर सुनवाई के लिये पूर्व शर्त के रूप में सरकार को देय कर का कुछ हिस्सा भुगतान करने को कहा था। याचिका में कहा गया था कि यह कर नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि क्लब केवल सदस्यों को सेवा प्रदान करता है।
अदालत ने दिल्ली सरकार से क्लब के खिलाफ पारित कुर्की आदेश को वापस लेने को कहा था। साथ ही उत्पाद शुल्क, मनोरंजन और विलासिता कर विभाग को नोटिस जारी किये थे।
अदालत का फैसला दिल्ली जिमखाना क्लब की तरफ से दायर पर याचिका पर आया है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि एक जुलाई, 2014 को पारित आदेश में उसे दिल्ली विलासिता कर अधिनियम के तहत सात दिन के भीतर 2.92 करोड़ रुपये का कर भुगतान करने को कहा गया था। यह पूरी तहर ‘गलत’ था और बिना पक्ष जाने आदेश दिया गया।

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