देश की खबरें | दिल्ली उच्च न्यायालय ने एफसीआरए निरसन को राजीव गांधी ट्रस्ट की चुनौती पर केंद्र का रुख पूछा

नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी फांउडेशन के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस को निरस्त करने को चुनौती देने वाली उसकी एक याचिका पर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार का रुख पूछा।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने केंद्र सरकार से यह बताने को कहा कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले एनजीओ की अपील को विचारार्थ स्वीकार क्यों नहीं किया जाना चाहिए और इसके बजाय इस स्तर पर ही खारिज क्यों कर दिया जाना चाहिए।
केंद्र के वकील ने कहा कि फाउंडेशन की याचिका अपील के रूप में विचारणीय नहीं है और याचिका दायर की जानी चाहिए।
एनजीओ के वकील ने कहा कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत अपील विचारणीय है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस पर अधिकारियों को औपचारिक नोटिस जारी किया जाए।
केंद्र के वकील ने कहा कि इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय संज्ञान ले चुका है कि अपीलों को विचारार्थ स्वीकार करने के लिए आगे और अध्ययन की जरूरत है।
फाउंडेशन के अलावा राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने भी उसके एफसीआरए लाइसेंस को निरस्त किये जाने के खिलाफ अपील दाखिल की है।
18 मई को, एक एकल न्यायाधीश, जो नोटिस जारी करने के इच्छुक थे, ने कहा था कि वह पहले राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) की दो याचिकाओं की विचारणीयता के मुद्दे पर सुनवाई करेंगे।
गृह मंत्रालय ने पिछले साल अक्टूबर में दोनों एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंसों को कानूनों के कथित उल्लंघन के मामले में निरस्त कर दिया था।
गृह मंत्रालय द्वारा 2020 में बनाई गई एक अंतर मंत्रालयीन समिति की जांच के बाद कार्रवाई की गई।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ और आरजीसीटी की अध्यक्ष हैं।
आरजीएफ के न्यासियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे और अशोक गांगुली हैं।
आरजीसीटी के न्यासियों में राहुल गांधी, अशोक गांगुली, बंसी मेहता और दीप जोशी हैं।

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