देश की खबरें | दिल्ली उच्च न्यायालय ने हत्या के आरोपी उप्र के नागरिक को ओमान प्रत्यर्पित करने का फैसला बरकरार रखा

नयी दिल्ली, 24 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओमान में हत्या के आरोपों के सिलसिले में आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति को खाड़ी देश प्रत्यर्पित करने के फैसले को शुक्रवार को बरकरार रखा।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने ओमान के अधिकारियों से प्राप्त एक अनुरोध पर माजीबुल्ला एम हनीफ को ओमान प्रत्यर्पित करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी याचिका खारिज कर दी।
ओमान में एक निचली अदालत द्वारा कराई गई जांच के बाद वहां के अधिकारियों ने यह अनुरोध किया था।
न्यायाधीश ने कहा कि ओमान के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है, जिसमें कहा गया है कि दोनों देशों के कानूनों के तहत कम से कम एक वर्ष की कैद या अधिक गंभीर सजा से संबंधित अपराध के आरोपियों को प्रत्यर्पित किया जाएगा।
याचिकाकर्ता ओमान के बिदिया में श्रमिक के रूप में काम करता था। वह हत्या का आरोपी है जो ओमान की दंड संहिता की धारा 302-ए के तहत दंडनीय है।
याचिकाकर्ता जिस मकान में रंग रोगन का काम कर रहा था, वहां 31 जुलाई 2019 को एक ओमानी नागरिक और उसकी पत्नी तथा तीन बच्चे मृत पाये गए थे।
न्यायमूर्ति बंसल ने याचिकाकर्ता की यह आशंका खारिज कर दी कि उसे ओमान में निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिलेगा क्योंकि यह शरीया शासित देश है और वहां हत्या के अपराध के लिए केवल मृत्यु दंड का प्रावधान है।
अदालत ने कहा कि ओमान ने भारत सरकार को आश्वस्त किया है कि याचिकाकर्ता की निष्पक्ष और न्यायोचित सुनवाई होगी तथा उसे खुद का बचाव करने के लिए एक वकील उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही, जांच और मुकदमे के दौरान एक दुभाषिया भी उसे मुहैया किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि ओमान में मृत्यु दंड और इसमें परिवर्तन कर सजा को कम करना तथा माफी का प्रावधान है।
इसने कहा, ‘‘मौजूदा याचिका, लंबित अर्जियों के साथ खारिज की जाती है और एसीएमएम (अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट) द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा जाता है। साथ ही, याचिकाकर्ता को ओमान प्रत्यर्पित करने के भारत संघ के फैसले को भी कायम रखा जाता है।’’
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसे इस मामले में फंसाया गया है। उसने बताया कि मृतक ने उसे ‘पिन’ के साथ अपना एटीएम कार्ड पैसे निकालने के लिए दिया था लेकिन जब लौटा तब परिवार के सदस्य मृत थे।
आरोपी व्यक्ति ने यह भी दावा किया कि उसने लौटने पर पीड़ितों के शरीर को छू कर यह जानने की कोशिश की थी कि वे जीवित हैं या नहीं, और इसलिए उसके अंगुलियों के निशान और डीएनए शवों पर पाये गए।
इसके अलावा, याचिकाकर्ता, और तीन अन्य व्यक्तियों पर मामले में हत्या का आरोप है और वे भगोड़े अपराधी के रूप में भारत में फरार बताये गए हैं।
अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में, ओमान ने पर्याप्त सामग्री पेश की है जो प्रत्यर्पण के समर्थन में प्रथम दृष्टया एक मामला बनाता है।

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