नयी दिल्ली, आठ नवंबर कांग्रेस ने नोटबंदी के सात साल पूरा होने के अवसर पर बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह फैसला एक सोची समझी साजिश थी जिससे अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई।
मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि देश इस ‘भीषण त्रासदी’ के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कभी माफ नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने का ऐलान किया था। सरकार ने 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे। अब 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नोटबंदी के बाद मोदी जी ने 50 दिन मांगे थे, आज 7 साल हो गए। वो चौराहा तो नहीं मिला, देश को दोराहे पर ज़रूर खड़ा कर दिया। एक तरफ़ अमीर, अरबपति अमीर हो गया है, तो दूसरी ओर, गरीब और भी गरीब होता जा रहा है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘आज 150 लोगों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है जिन्होंने नोटबंदी के चक्रवात को झेला ! देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर को गहरा धक्का लगा। एक ही झटके में लाखों छोटे व्ययसाय ठप्प पड़ गए। करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरियां गंवाई। पाई-पाई जोड़कर जो हमारी गृह लक्ष्मी महिलाओं ने बचत जुटाई थी, वो ख़त्म हो गई। जाली नोट और बढ़ गए, 500 रुपये के जाली नोटों में पिछले साल ही 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और 2000 के नोटों पर भी नोटबंदी लागू करनी पड़ी।’’
खरगे ने यह भी कहा, ‘‘मोदी सरकार काले धन पर लगाम लगाने में विफ़ल रही। चलन में नगदी में 2016 से अब तक 83 प्रतिशत का उछाल आया। मोदी सरकार की नोटबंदी आम नागरिकों के जीवन में एक गहरे ज़ख़्म की तरह है, जिसकी मरहम-पट्टी वो आज तक कर रहें हैं।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘नोटबंदी एक सोची समझी साज़िश थी। यह साजिश रोज़गार तबाह करने, श्रमिकों की आमदनी रोकने, छोटे व्यापारों को खत्म करने की, किसानों को नुकसान पहुंचाने की और असंगठित अर्थव्यवस्था को तोड़ने की थी।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘99 प्रतिशत आम भारतीय नागरिकों पर हमला, एक प्रतिशत पूंजीपति मोदी ‘मित्रों’ को फायदा। यह एक हथियार था, आपकी जेब काटने का, परम मित्र की झोली भर कर उसे 609 से दुनिया का दूसरा सबसे अमीर बनाने का!’’
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘आज से सात साल पहले आठ नवंबर 2016 को रात 8 बजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश पर नोटबंदी का प्रहार किया था। एक निर्णय जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी…24 मार्च, 2020 को अनियोजित, अचानक तालाबंदी के साथ एक बार फिर दोहराया गया, जिसके कारण लाखों प्रवासी श्रमिकों को सैकड़ों और हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापस जाना पड़ा।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री द्वारा लोगों की पीड़ा का मजाक उड़ाना, हंसना और यह कहना कि ‘घर में शादी है, पैसा नहीं है’ को कौन भूल सकता है? उन सैकड़ों गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को कौन भूल सकता है जिनकी अपने नोट बदलने के लिए लंबी लाइनों में इंतजार करते-करते मौत हो गई, जबकि अमीर लोग आसानी से अपने बैंक नोट बदलवाने में कामयाब रहे?’’
रमेश ने आरोप लगाया कि नोटबंदी के साथ-साथ जल्दबाजी में लागू की गई जीएसटी ने भारत के रोजगार पैदा करने वाले छोटे और मध्यम व्यवसायों को खत्म कर दिया, जिससे 45 साल की बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई और 2013 में अर्थव्यवस्था के पटरी पर आना समाप्त हो गया।’’
उनके मुताबिक, ‘‘नोटबंदी के कारण 2011 के बाद से बनी जीडीपी वृद्धि की गति पूरी तरह उलट गई। भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 2011 में 5.2 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 8.3 प्रतिशत हो गई। फिर, विमुद्रीकरण नामक आपदा आई और विकास धीमा होना शुरू हो गया, जो कि कोविड-19 महामारी से ठीक पहले चार प्रतिशत तक पहुंच गया।’’
रमेश ने दावा किया कि भारत इस ‘भीषण त्रासदी’ के लिए प्रधानमंत्री को माफ नहीं करेगा।