देश की खबरें | दिवाली 2023: रोशनी के त्योहार से जुड़े हिंदी सिनेमा के कुछ लोकप्रिय दृश्य

नयी दिल्ली, 11 नवंबर दिवाली हमारे जीवन से जुड़ा एक विशेष त्योहार होने के साथ-साथ हिंदी सिनेमा की दुनिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण उत्सव है। हिंदी फिल्मों ने वर्षों से रोशनी के इस त्योहार को अपनी कहानियों में शामिल किया है, जिससे ये फिल्में कुछ खास बन गईं।
आइये हिंदी सिनेमा के उन पांच लोकप्रिय दृश्यों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने रूपहले पर्दे को दिवाली की उज्जवल भावना से रोशन कर दिया।
‘कभी खुशी, कभी गम'(2001): फिल्मकार करण जौहर की सुपरहिट फिल्म का दिवाली का दृश्य दर्शकों के मन में सदा के लिये बस गया। इस दृश्य को राहुल का किरदार निभा रहे शाहरुख खान और उनकी दत्तक मां जया बच्चन के बीच फिल्माया गया है, जो दिवाली से जुड़ा है।
इस दृश्य में अमिताभ बच्चन की पत्नी नंदिनी रायचंद को दिवाली के अवसर पर अपने बेटे राहुल के आने का अहसास होता है और वह आलीशान घर के दरवाजे तक आरती का थाल लेकर जाती हैं। इसके कुछ ही देर बाद राहुल आ जाता है। मां-बेटे के बीच का यह भावनात्मक दृश्य सिनेमा प्रेमियों के दिल में जगह बना लेता है।
‘वास्तव’ (1999): महेश मांजरेकर निर्देशित यह फिल्म संजय दत्त के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है। परिवार के महत्व पर बात करने वाली इस फिल्म में संजय दत्त ने एक संघर्षरत युवक की भूमिका निभाई है, जो बाद में अपराध की दुनिया में चला जाता है।
इस फिल्म के एक अहम दृश्य में रघु (संजय दत्त) अपने परिवार से मिलने के लिए आता है। इस दृश्य में रघु अपने परिवार के सामने अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करता है, जिसके बाद उसकी मां (रीमा लागू) उसे फटकार लगाती है। इसी दौरान रघु वह मशहूर संवाद ‘ये देख पचास तोला’ बोलता है।
‘हम आपके हैं कौन…'(1994): सलमान खान और माधुरी दीक्षित अभिनीत इस फिल्म का लोकप्रिय गीत ‘धिक ताना’ भी दीपावली के जश्न को दर्शाते हुए प्रस्तुत किया गया है।
इस दृश्य में नाथ परिवार के खूबसूरत तरीके से सजाए गए घर को दर्शाया गया है, जहां परिवार के सभी सदस्य रोशनी के त्योहार को मनाने के लिए एक साथ आते हैं।
‘जंजीर’ (1973): दिवाली का त्योहार इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे हिंदी सिनेमा के ‘एंग्री यंगमैन’ के रूप में अमिताभ बच्चन की यात्रा की शुरुआत हुई।
प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी यह फिल्म दीवाली के दृश्य से शुरू होती है, जिसमें बच्चन का किरदार विजय खन्ना एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा अपने माता-पिता की हत्या होते हुए देखता है, हत्यारे ने चमकदार ब्रेसलेट ‘जंजीर’ पहना हुआ होता है।
फिल्म का क्लाइमैक्स भी दिवाली से ही जुड़ा है, जब फिल्म के नायक विजय को पता चलता है कि जिस आदमी तेजा (अजीत खान) की वह लगातार तलाश कर रहा था, वही उसके माता-पिता का हत्यारा है। इसके बाद वह तेजा से लड़ता है और अपने माता-पिता को न्याय दिलाता है।
‘चाची 420’ (1997): दिवाली का त्योहार पटाखे फोड़ने का पर्याय है और मौज-मस्ती की इस भावना को कई फिल्मों और गानों में दिखाया गया है। लेकिन कमल हासन की पारिवारिक कॉमेडी में एक महत्वपूर्ण दृश्य था, जिसने सुरक्षा के महत्व को रेखांकित किया।
फिल्म के एक दृश्य में, आया लक्ष्मी गोडबोले (कमल हासन), पटाखे फोड़ते समय एक दुर्घटना के बाद अपनी बेटी भारती की जान बचाती है, जिसका किरदार युवा फातिमा सना शेख ने निभाया है।

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