देश की खबरें | ‘निजी स्कूलों में छठे, सातवें सीपीसी की सिफारिशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए समिति बनाए सरकार’

नयी दिल्ली, 19 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी सरकार को निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यताप्राप्त निजी गैर सहायतित अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन व बकाया से संबंधित छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की सिफारिशों तथा दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने अगली पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा को “बड़ा हथियार” करार देते हुए कहा कि नियामक प्राधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के प्रत्येक छात्र को समान गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान की जाए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय और स्थानीय स्तर पर समिति का गठन किया जाएगा। अदालत ने शिक्षा निदेशालय (डीओई) को क्षेत्रीय समिति बनाने के लिए दो सप्ताह में एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया, समिति में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों समेत विभिन्न हितधारक शामिल होंगे।
अदालत ने कहा कि जो लोग वेतन आयोग के कार्यान्वयन न होने से व्यथित हैं, वे समिति के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत कर सकेंगे।
आदेश में कहा गया है कि समिति को एक ऐसा तंत्र तैयार करना होगा जिससे स्कूलों के पास अपेक्षित धन न होने की स्थिति में भी कर्मचारियों के बकाया भुगतान किया जा सके।
न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा, “यह अदालत मानती है कि यह एक खेदजनक स्थिति है कि स्कूल के कर्मचारी बच्चों की शिक्षा में योगदान देने के बजाय, इस अदालत के समक्ष वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपने वेतन और परिलब्धियों का भुगतान करने की मांग कर रहे हैं, जिसके वे उचित हकदार हैं।
दिल्ली के निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों और मान्यता प्राप्त निजी गैर सहायतित अल्पसंख्यक स्कूलों में काम करने वाले विभिन्न कर्मचारियों की याचिकाओं पर अदालत ने यह निर्देश जारी किया है।
याचिकाओं में बकाया राशि और सेवानिवृत्ति लाभों के साथ छठे और सातवें सीपीसी का लाभ देने की मांग की गई थी।

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