जरुरी जानकारी | सरकार कोयला आधारित 60,000 मेगावाट तक बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ेगी: आर के सिंह

नयी दिल्ली, 22 नवंबर केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने बुधवार को कहा कि बिजली की बढ़ती मांग के बीच सरकार ने 60,000 मेगावाट तक कोयला आधारित विद्युत उत्पादन क्षमता पर काम करने का निर्णय किया है। यह निर्माणधीन 27,000 मेगावाट क्षमता के अलावा है।
बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री सिंह ने तापीय बिजली उत्पादन क्षमता वृद्धि की समीक्षा करने और उद्योग को किसी भी समस्या से निपटने में सुविधा प्रदान करने के लिये मंगलवार को यहां बिजली क्षेत्र से जुड़े विभिन्न पक्षों के साथ बैठक की।
उन्होंने बैठक में कहा, ‘‘हमारे पास 27,000 मेगावाट क्षमता निर्माणाधीन है। हमने सोचा था कि हम 25,000 मेगावाट और जोड़ेंगे। लेकिन हमने फैसला किया है कि हम कम से कम 55,000 से 60,000 मेगावाट कोयला आधारित क्षमता पर काम शुरू करेंगे। जैसे-जैसे मांग बढ़ती जा रही है, हम इस क्षमता को जोड़ते रहेंगे।’’
बिजली मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा कि 2022-32 के लिये राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुमान के अनुसार 2031-32 तक 2,83,000 मेगावाट क्षमता की जरूरत होगी। वर्तमान में कोयला और लिग्नाइट आधारित क्षमता 2,14,000 मेगावाट है।
बैठक में बिजली मंत्रालय, राज्य सरकारों, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, एनटीपीसी, आरईसी, पीएफसी, भेल और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के अधिकारियों ने भाग लिया। स्वतंत्र बिजली उत्पादकों सहित उद्योग से जुड़े भागीदार भी बैठक में शामिल थे।
सिंह ने कहा कि राज्यों को अपनी कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता की उपलब्धता बनाये रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तापीय बिजलीघरों का कोई भी नवीकरण, आधुनिकीकरण या समय विस्तार समय पर किया जाए।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप अपनी तापीय बिजली उत्पादन क्षमता बनाये नहीं रखते हैं और इसके बजाय हमसे (केंद्र) बिजली देने की उम्मीद करते हैं, तो ऐसा नहीं होने वाला हैं। हम उन राज्यों को अतिरिक्त बिजली आवंटित करेंगे जो अपनी क्षमताओं को बनाये रख रहे हैं और चला रहे हैं। जो क्षमताएं बढ़ाना चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं।’’
सिंह ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि के कारण देश की बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है। देश में 24 घंटे बिजली की उपलब्धता की जरूरत है और हम बिजली की उपलब्धता पर कोई समझौता नहीं करने जा रहे हैं। यह बिजली अकेले नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त नहीं की जा सकती है।’’
इस बीच, जीई और एल एंड टी जैसे इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) विक्रेताओं ने बोली प्रक्रिया के संबंध में अपनी चिंताएं जतायी।
बयान के अनुसार, उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी चिंताओं पर गौर किया जाएगा।
अन्य उपकरण आपूर्तिकर्ताओं ने बाजार में कर्ज की कमी, बैंक गारंटी, पात्रता आवश्यकताओं आदि मुद्दे उठाये।
बिजली सचिव पंकज अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये देश को 2031-32 तक कम से कम 80,000 मेगावाट क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है। बढ़ती बिजली की मांग और मौसम की घटनाओं को देखते हुए, गैर-सौर-घंटे (ऐसा समय जब सौर ऊर्जा उत्पादन नहीं होता) एक गंभीर चुनौती बनने जा रहे हैं…।’’

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