देश की खबरें | प्रसिद्ध बांग्ला कवि नजरुल की पौत्री ने गीत की धुन बदलने संबंधी करार को सार्वजनिक करने की मांग की

कोलकाता, 22 नवंबर बांग्ला कवि काजी नजरुल इस्लाम के एक लोकप्रिय देशभक्ति गीत का इस्तेमाल एक हिंदी फिल्म में करने से जुड़े समझौते की खुद को प्राप्त हुई प्रति में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए उनकी पौत्री अनिंदिता काजी ने सोमवार को मूल करार सार्वजनिक किये जाने की मांग की।
इस साल आई फिल्म ‘पिप्पा’ में गीत ‘करार ओई लोउहो कोपाट’ के संगीतकार ए आर रहमान के संस्करण पर विवाद खड़ा हो गया है और इस्लाम के परिवार ने और गायकों ने इसकी धुन और लय में बदलाव पर अप्रसन्नता जताई है।
यह फिल्म हाल में एक ओटीटी मंच पर प्रदर्शित हुई जिसमें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान के कुछ वास्तविक घटनाक्रम को चित्रित किया गया है। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था।
विद्रोही कवि के रूप में मशहूर नजरुल इस्लाम का जन्म 1899 में पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्द्धमान जिले में हुआ था। बंगाल में उनका गीत संग्रह ‘नजरुल गीती’ लोकप्रियता के मामले में संभवत: रवींद्रनाथ टैगोर के बाद दूसरे स्थान पर माना जाता है। बाद में वह बांग्लादेश के राष्ट्र कवि बन गए थे।
अनिंदिता ने अपनी दिवंगत मां कल्याणी काजी और ‘पिप्पा’ के निर्माताओं के बीच सितंबर 2021 में हुए समझौते के बारे में अपने भाई काजी अनिर्बान के दावे में विसंगतियों की बात कही है।
चश्मदीद के रूप में करार पर हस्ताक्षर करने वाले अनिर्बान ने हालांकि आरोपों का खंडन किया है।
अनिंदिता ने ‘पीटीआई-’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘समझौते की एक प्रति मुझे भेजी गई और मुझे अनेक वजहों से इसकी प्रामाणिकता पर संदेह है। यह एक खाली कागज पर लिखा लगता है। इस पर गवाह के दस्तखत 4 सितंबर, 2021 के हैं जबकि समझौते की तारीख आठ सितंबर थी।’’

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