देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने ‘पशु की चर्बी अवैध रूप से पिघलाने’ से जुड़ी याचिका पर पुलिस से रुख बताने को कहा

नयी दिल्ली, 13 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां एक इलाके में ‘‘पशु की चर्बी और त्वचा पिघलाने’’ की कथित गतिविधियों से जुड़ी एक याचिका पर शहर की पुलिस और नगर निगम से अपना रुख बताने को कहा है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को अधिवक्ता फराज खान द्वारा दायर अवमानना याचिका पर चार सप्ताह के अंदर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ‘‘पशु की चर्बी और त्वचा अवैध रूप से पिघलाने’’के सिलसिले में दायर उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने का प्राधिकारों को निर्देश देने वाले न्यायिक आदेश का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने दावा किया है कि ऐसी 12 इकाइयां अवैध रूप से संचालित हो रही हैं।
एमसीडी के वकील और पुलिस ने कहा कि उन्होंने कानून के अनुरूप कार्रवाई शुरू कर दी है तथा दो इकाइयों को सील कर दिया गया है।
अदालत ने आठ नवंबर के फैसले में कहा, ‘‘प्रतिवादी आज से चार सप्ताह के अंदर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें। इसे 16 जनवरी 2024 के लिए सूचीबद्ध किया जाए।’’
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि जिस व्यक्ति की इकाई सील की गई है, उसकी ओर से याचिकाकर्ता को फोन पर दी गई किसी धमकी पर भी गौर किया जाए।
अगस्त में याचिकाकर्ता ने एक जनहित याचिका दायर कर अवैध गतिविधियों के संबंध में निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने याचिका में कहा था कि उन्होंने सदर बाजार पुलिस थाने के प्रभारी को एक शिकायत दी थी। इसमें दावा किया गया था कि ‘‘पशु की चर्बी और त्वचा पिघलाने से’’ इलाके में दुर्गंध फैलती है, जिसके चलते स्थानीय लोग स्वच्छ हवा व पर्यावरण से वंचित हो गए हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा था, ‘‘एमसीडी और अन्य प्राधिकारों को कानून के अनुरूप चार सप्ताह के अंदर उपयुक्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।’’
याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका एमसीडी आयुक्त, सदर बाजार पुलिस थाने के प्रभारी और एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ दायर की है।

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