रांची, 22 नवंबर: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बाल आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी, लोकयुक्त सहित करीब 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों के रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति करते हुए शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को निर्धारित की है. सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में राजकुमार नामक व्यक्ति की ओर से दायर अवमानना याचिका और एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से संवैधानिक संस्थाओं में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को यह निर्देश दिया.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि सूचना आयुक्त, लोकायुक्त एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण इन पदों पर नियुक्ति नहीं हो पा रही थी. इन पदों पर नियुक्तियों के लिए जो समिति होती है, उसमें नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति अनिवार्य होती है। अब विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर दी है.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अभय मिश्रा ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद के रिक्त रहने से कोई अड़चन नहीं है। कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर विपक्ष के नेता नहीं है तो विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को कमेटी में रखकर राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त एवं अन्य पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है.
कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2020 में हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक याचिका को कोर्ट ने राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद निष्पादित कर दिया था. उस समय सरकार की ओर से कोर्ट में अंडरटेकिंग देते हुए कहा गया था कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति जल्द कर ली जाएगी। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति नहीं होने पर वर्ष 2021 में प्रार्थी राजकुमार ने अवमानना याचिका दाखिल की है.
एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से भी इसी मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि करीब 4 वर्षों से राज्य बाल आयोग, सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग, लोकायुक्त आदि संवैधानिक संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों के रिक्त रहने से किसी तरह का कोई काम नहीं हो रहा है.