देश की खबरें | उत्तराखंड की सुरंग में फंसे कर्मियों को बचाने के विकल्प तलाशने के लिए उच्चस्तरीय बैठक

नयी दिल्ली, 18 नवंबर केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के सिलक्यारा में आंशिक रूप से ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विभिन्न एजेंसी को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गईं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया।
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को एक-एक जिम्मेदारी दी गई है। बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।’’
सूत्रों ने बताया कि एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसी के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है।
उत्तराखंड सरकार ने सचिव स्तर के अधिकारी नीरज खैरवाल को समन्वय के लिए नोडल अधिकारी बनाया है।
सूत्रों ने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियों ने घटनास्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया है और सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बचाव अभियान के लिए हरसंभव प्रयास किया जाए।
उन्होंने कहा कि 12 नवंबर को हुई घटना के बाद केंद्र और राज्य ने तुरंत संसाधन जुटाए। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एनएचआईडीसीएल, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल और राज्य सरकार सहित विभिन्न एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे।
मलबे के बीच एक पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह श्रमिकों को बचाने का सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था।
सूत्रों ने कहा कि यूके जल निगम के पास उपलब्ध ऑगर (ड्रिलिंग) मशीन की मदद से पाइप बिछाने के शुरुआती प्रयास के बाद अमेरिका निर्मित एक बड़ी ऑगर मशीन लाने का निर्णय लिया गया, जिसे भारतीय वायुसेना ने दिल्ली से हवाई मार्ग से पहुंचाया।
उन्होंने बताया कि इंदौर से एक और ऑगर मशीन हवाई मार्ग से मंगाई गई लेकिन 17 नवंबर को जमीन में हलचल की आवाज आई और सेंसर ने इसकी पुष्टि कर दी। उन्होंने कहा कि संरचना को सुरक्षित किए बिना पाइप डालने का काम जारी रखना असुरक्षित हो गया।
सूत्रों ने कहा कि लोगों का जीवन खतरे में होने के मद्देनजर सभी संभावित मोर्चों पर एक साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया ताकि श्रमिकों को जल्द से जल्द बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि समय बीतते जाने के बीच अधिकारियों ने मलबे के उस पहाड़ की चोटी से एक लंबवत छेद करने की तैयारी शुरू कर दी, जिसमें 41 श्रमिक फंसे हुए हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *