नयी दिल्ली, 20 नवंबर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष रिचर्ड मार्ल्स के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने सहमति व्यक्त की कि एक मजबूत द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए भी “अच्छी” होगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक बयान के अनुसार, दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि रक्षा उद्योग और अनुसंधान में सहयोग को गहरा करने से “पहले से ही मजबूत संबंधों को बढ़ावा मिलेगा”।
सिंह ने सुझाव दिया कि पोत निर्माण, मरम्मत और उसका रखरखाव तथा विमानों का रखरखाव, मरम्मत और उसका कायाकल्प (एमआरओ) सहयोग के संभावित क्षेत्र हो सकते हैं।
बयान में कहा गया कि नेताओं ने दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
सिंह ने इस साल अगस्त में ऑस्ट्रेलिया द्वारा बहुपक्षीय अभ्यास ‘मालाबार’ के पहले और सफल आयोजन के लिए मार्ल्स को बधाई दी।
मार्ल्स ऑस्ट्रेलिया के उपप्रधानमंत्री भी हैं।
मंत्रालय ने कहा, “दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में संयुक्त युद्धाभ्यास, आदान-प्रदान और संस्थागत बातचीत सहित दोनों देशों के बीच सैन्य क्षेत्र में बढ़ते सहयोग पर संतोष व्यक्त किया।”
अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष ‘हाइड्रोग्राफी’ सहयोग और हवा से हवा में ईंधन भरने के क्षेत्र में सहयोग को लेकर क्रियान्वयन व्यवस्था बनाने की बातचीत के अग्रिम चरण में पहुंच चुके हैं।
सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि दोनों देशों की सेनाओं को “कृत्रिम बुद्धिमता, पनडुब्बी-रोधी और ड्रोन-रोधी युद्ध तथा साइबर जैसे प्रशिक्षण क्षेत्रों” में सहयोग पर भी ध्यान देना चाहिए।
इसमें कहा गया, “दोनों मंत्रियों के बीच पानी के भीतर प्रौद्योगिकियों के मामले में संयुक्त अनुसंधान में सहयोग पर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों देशों के बीच चुनौतियों का मिलकर समाधान करने सहित रक्षा स्टार्टअप में गठबंधन पर भी मंत्रियों के बीच चर्चा हुई।”
बयान में कहा गया, “दोनों मंत्रियों का मानना था कि मजबूत भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा भागीदारी न केवल उनके आपसी फायदे के लिए, बल्कि समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए बेहतर रहेगी।”
ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों ‘क्वाड’ गठबंधन का हिस्सा हैं जो एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने पर केंद्रित है। क्वाड के अन्य दो सदस्य अमेरिका और जापान हैं।