विदेश की खबरें | संरा में भारत ने खेलों के जरिये शांतिपूर्ण विश्व निर्माण के प्रस्ताव पर मतदान में नहीं लिया हिस्सा

संयुक्त राष्ट्र, 22 नवंबर भारत ने खेलों के माध्यम से एक शांतिपूर्ण और बेहतर दुनिया के निर्माण, आतंकवाद एवं हिंसक अतिवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने के साथ ही मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में खेल की भूमिका को स्वीकार करने पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को फ्रांस द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव ‘खेल और ओलंपिक के माध्यम से एक शांतिपूर्ण और बेहतर दुनिया का निर्माण’ पारित किया।
इस प्रस्ताव को परंपरागत रूप से सर्वसम्मति से पारित किया गया है, लेकिन इस साल, रूस ने इसके पाठ पर एक रिकॉर्डेड वोट का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 120 ने प्रस्ताव पर यूएनजीए में मतदान किया। इसके पक्ष में 118 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा, वहीं रूस और सीरिया ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
भारत उन 73 देशों में शामिल था जो प्रस्ताव पर मतदान से अनुपस्थित रहे।
प्रस्ताव में लोगों और देशों के बीच सहिष्णुता और समझ का माहौल बनाने में खेल के योगदान, आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने में इसकी भूमिका तथा हिंसा, आतंकवादियों की भर्ती के खिलाफ इसके योगदान को मान्यता दी गई।
इसमें माना गया कि खेल एवं ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों का उपयोग मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और ऐसे अधिकारों के लिए सार्वभौमिक सम्मान को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है, इस प्रकार उनके पूर्ण क्रियान्वयन में योगदान दिया जा सकता है।
ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक खेलों से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा हर दो साल में इस प्रस्ताव पर विचार करती है।
पेरिस में अगले साल 26 जुलाई से 11 अगस्त तक ओलंपिक और अगले साल 28 अगस्त से 8 सितंबर तक पैरालंपिक खेलों का आयोजन होने के मद्देनजर, प्रस्ताव में सदस्य देशों से पेरिस में खेलों की शुरुआत से सात दिन पहले से लेकर पैरालंपिक खेल समाप्त होने के सात दिन बाद तक अलग-अलग और सामूहिक रूप से ओलंपिक संघर्षविराम का पालन करने का आग्रह किया गया। यह इसलिए है ताकि, ‘‘ओलंपियाड और पैरालंपिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों, अधिकारियों और अन्य सभी व्यक्तियों की सुरक्षित यात्रा, पहुंच और भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही खेलों के सुरक्षित आयोजन के लिए अन्य उचित उपाय किये जा सकें।’’
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, रूस ने कहा कि रूसी खिलाड़ियों को ओलंपिक खेलों में भाग लेने से रोकने का अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का निर्णय राजनीतिक और भेदभावपूर्ण है। रूसी प्रतिनिधि ने कहा कि राष्ट्रीयता के आधार पर दोहरे मानदंड और अलगाव बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाख ने कहा कि आज के नाजुक समय में ओलंपिक संघर्षविराम प्रस्ताव पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
बाख ने कहा, “ओलंपिक खेल राजनीतिक तटस्थता और सार्वभौमिकता के प्रति मौलिक प्रतिबद्धता के माध्यम से शांति में यह योगदान दे सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि गैर-भेदभाव का एक पहलू यह है कि खिलाड़ियों को उनकी सरकारों या उनकी राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि सभी खिलाड़ी जो खेल के मैदान पर पात्र हैं और ओलंपिक चार्टर के नियमों का पालन कर रहे हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए।
बाख ने कहा, ‘‘हम रूस की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा ओलंपिक चार्टर के उल्लंघन के संदर्भ में भी गैर-भेदभाव के इस सिद्धांत को कायम रख रहे हैं। हमें उन्हें निलंबित करना पड़ा क्योंकि उन्होंने यूक्रेनी क्षेत्रों के खेल संगठनों को अपने सदस्यों के रूप में शामिल करके यूक्रेन की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया।’’
उन्होंने कहा कि इन सभी ओलंपिक मूल्यों को कायम रखना वह योगदान है जिससे ‘‘हम ओलंपिक आंदोलन में खेल के माध्यम से एक बेहतर और अधिक शांतिपूर्ण दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।’’

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