पणजी, नौ नवंबर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अब इतना बदल गया है कि वह दोबारा आपातकाल जैसा दौर नहीं देखेगा।
वह राजभवन में गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई की 200वीं पुस्तक “वामन वृक्ष कला” का विमोचन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। यह किताब ‘बोन्साई’ पेड़ उगाने की कला के बारे में है।
उपराष्ट्रपति ने जिक्र किया कि पिल्लई की 100वीं पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। उन्होंने कहा, “वह किताब आपातकाल के काले दिनों के संबंध में थी। यह संयोग ही था कि प्रधानमंत्री उस पुस्तक का विमोचन कर रहे थे।”
उन्होंने कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि भारत इस स्तर तक बढ़ चुका है कि भारत में फिर कभी ऐसे काले दिन नहीं आएंगे। पृथ्वी पर की कोई भी ताकत हमारी आबादी को उनके मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों से वंचित नहीं कर सकती।’’
धनखड़ ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से आपातकाल (तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाया गया) हमारे इतिहास का सबसे काला काल था, हमें वहां से आगे बढ़ना होगा और सबक सीखना होगा।”
धनखड़ ने पिल्लई की पुस्तक की पहली प्रति ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित दामोदर मावजो को दी। वह इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि हममें से प्रत्येक यह संकल्प करे कि यह ग्रह सिर्फ मनुष्यों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, “यह ग्रह जीवित प्राणियों के लिए है। हर किसी को ग्रह पर रहने का अधिकार है। हम इस ग्रह के न्यासी हैं।”
पिल्लई की नयी किताब का जिक्र करते हुए, धनखड़ ने कहा कि यह याद दिलाती है कि भारतीय सभ्यता के लोकाचार, मूल्य और ज्ञान 5,000 साल से अधिक पुराने हैं।
उन्होंने कहा, “हम ज्ञान की तलाश के लिए कहीं और देखने की जरूरत नहीं है। यह हमारे वेदों और उपनिषदों में है। राज्यपाल ने अपनी पुस्तक में फिर से इसकी पुष्टि की है…. लेकिन आम धारणा है कि बोन्साई पेड़ जापान या चीन से आते हैं।’’
इस समारोह के दौरान 94 साल के एक किसान उस समय अभिभूत हो गए जब उपराष्ट्रपति ने उनके पैर छुए।
जब धनखड़ राजभवन के नए दरबार हॉल पहुंचे और मंच तक पहुंचने के लिए भीड़ के बीच से गुजर रहे थे, उनकी नजर विश्वनाथ गधाधर केलकर पर पड़ी
धोती पहने केलकर ने मुस्कुराते हुए धनखड़ का अभिवादन किया।
धनखड़ ने उनके साथ दो मिनट तक बातचीत करने के बाद उनके पैर छुए और उनसे आशीर्वाद लिया।