नयी दिल्ली, 22 नवंबर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नॉर्डिक-बाल्टिक देशों को भारत के बंदरगाह, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण और मत्स्य पालन क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया है।
उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत ने करीबी व्यावसायिक सहयोग के लिए संस्थागत ढांचा स्थापित किए हैं।
जयशंकर ने यहां ‘इंडिया नॉर्डिक बाल्टिक बिजनेस कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने हाल ही में (एस्तोनिया की राजधानी) ताल्लिन और (लिथुआनिया की राजधानी) विनियस में दूतावास खोले हैं। बहुत जल्द लातविया में एक दूतावास शुरू करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि भारत ने 2030 तक 450 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। सागरमाला कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक परियोजनाओं को शामिल करते हुए बंदरगाह आधारित विकास की योजना बनाई है, जबकि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अगले दशक में 33 अरब डॉलर आकर्षित करने की क्षमता है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘ ये एनबी8 (नॉर्डिक-बाल्टिक) देशों के लिए निवेश, व्यापार तथा प्रौद्योगिकी तकनीकी सहयोग तथा पारस्परिक विशेषज्ञता व सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के वास्तविक अवसर प्रदान करते हैं। मत्स्य पालन का विकास भी प्राकृतिक सहयोग का एक क्षेत्र है।’’
मंत्री ने कहा कि 2022-23 में एनबी8 देशों के साथ भारत का वस्तुओं का संयुक्त व्यापार करीब 7.3 अरब अमेरिकी डॉलर था और 2000 के बाद से नॉर्डिक देशों से प्राप्त कुल एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) 4.69 अरब अमेरिकी डॉलर था।
उन्होंने कहा कि 700 से अधिक नॉर्डिक कंपनियां भारत में मौजूद हैं और करीब 150 भारतीय कंपनियां उस क्षेत्र में मौजूद हैं।
जयशंकर ने कहा, ‘‘ तो यह आर्थिक आधार रेखा है जिस पर हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा, डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने की क्षमता तथा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बाल्टिक क्षेत्र की ई-शासन, डिजिटल नवाचार, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन तथा अन्य अग्रणी उद्योगों में प्रमुखता के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है।
मंत्री ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने भी एनबी8 समूह के साथ सहयोग के नए अवसर खोले हैं।