नयी दिल्ली, 22 नवंबर विदेशी बाजारों में सुधार के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बुधवार को मूंगफली तेल-तिलहन में स्थिरता को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों में बढ़त का रुख रहा और सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव मजबूत बंद हुए।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ है, जबकि मलेशिया एक्सचेंज में तेजी है। इसकी वजह से देशी तेल-तिलहनों में सुधार तो है मगर फिर भी यहां विदेशी बाजारों जितना सुधार नहीं दिखा। इसकी वजह बंदरगाहों पर आयातित तेलों की लागत से कम दाम पर बिक्री किया जाना है क्योंकि आयातकों को बैकों का ऋण साखपत्र चलाते रहने की मजबूरी के कारण आयातित तेल को लागत से कम दाम पर बेचना पड़ रहा है।
सोयाबीन डीगम तेल की आयात लागत 95 रुपये किलो बैठती है और बंदरगाहों पर यह तेल 91 रुपये किलो के भाव बेचा जा रहा है। यह स्थिति बनी रही तो आगे सॉफ्ट आयल (नरम तेल-सोयाबीन) का आयात घटेगा जबकि जाड़े में नरम तेलों की मांग आमतौर पर काफी बढ़ जाती है। नरम तेलों का आयात भी कम हो रहा है। जून-जुलाई-अगस्त में 13-14 लाख टन की घरेलू मासिक मांग के मुकाबले 18-18.5 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो रहा था लेकिन जब जाड़े में खाद्य तेलों की मांग काफी बढ़ती है, तो इनका आयात घटकर 11.50-12 लाख टन का हो रहा है जिसमें जाड़े में अधिक मांग वाले सोयाबीन डीगम का आयात लगभग डेढ़ लाख टन का ही है। जिस देश में खाद्य तेलों की आधे से भी अधिक मांग की पूर्ति आयात से की जाती हो, वहां आयातक लागत से कम दाम पर किस मजबूरी में बिकवाली कर रहे हैं, इसकी जानकारी सरकार को कौन देगा? क्या आयातकों की इस आर्थिक बदहाली या अन्य जो भी कारण हैं उसकी जानकारी सरकार को देना तेल संगठनों का काम नहीं है ?
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा लागत से कम दाम पर बिकवाली के कारण नरम तेलों की आगे दिक्कत आ सकती है। देश के मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी किसान पहले ही परेशान हैं क्योंकि सस्ते आयातित तेलों की बहुलता में इन किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिक रही है। सस्ते आयातित तेलों के कारण आयातक देशी तेल पेराई मिलें और देश का तेल उद्योग पहले से खस्ताहाल है। इन सब समस्याओं और कठिनाइयों के बारे में तेल संगठनों के अलावा और कौन सा मंच, सरकार को अवगत करायेगा ?
सूत्रों ने कहा कि किसानों को दिवाली के बाद सरकार की ओर मूंगफली की खरीद किये जाने का इंतजार है। सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले काफी ऊंचे दाम के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर कायम हैं।
बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,750-5,800 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,650-6,725 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,305-2,590 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,820 -1,915 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,820 -1,930 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,360-5,410 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 5,160-5,210 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल।