देश की खबरें | एनईपी मानव पूंजी को वैश्विक नागरिकों में परिवर्तित करने के लिए पथ-प्रदर्शक बन सकती है : शिक्षा मंत्री प्रधान

नयी दिल्ली, 17 नवंबर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि भारत की नयी शिक्षा नीति (एनईपी) उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वास्ते मानव पूंजी को पूर्ण वैश्विक नागरिकों में परिवर्तित करने के लिए नीति और रणनीति विकसित करने की दिशा में पथ-प्रदर्शक के रूप में सहायक हो सकती है।
प्रधान के पास कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय भी है। वह भारत द्वारा आयोजित ‘‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’’ के दूसरे संस्करण को संबोधित कर रहे थे।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है, ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
प्रधान ने कहा, “दार्शनिक दस्तावेज के रूप में नयी शिक्षा नीति उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए मानव पूंजी को करुणा और विनम्रता जैसे मूल्यों के साथ पूर्ण वैश्विक नागरिकों में बदलने के लिए व्यापक नीति एवं प्रभावी नीति विकसित करने की दिशा में पथ-प्रदर्शक के रूप में सहायक हो सकती है।’’
उन्होंने कहा, “एनईपी ने हमारी शिक्षा और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन को बढ़ावा दिया है और अपने अनुभव हम भागीदार देशों के साथ साझा करने के लिए उत्सुक हैं।”
प्रधान ने कहा कि कोई भी देश सिर्फ अपने दम पर किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकता या लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “हमें साझा आकांक्षाओं की दिशा में काम करना चाहिए, शिक्षा और कौशल विकास के दोहरे खंभों पर आधारित सामान्य रणनीतियां तैयार करनी चाहिए। इस संबंध में भारत का अनुभव उदाहरण के रूप में काम कर सकता है।’’
उन्होंने कहा, “पहुंच, सामर्थ्य, जवाबदेही, गुणवत्ता और समता के पांच आधार स्तंभों पर तैयार, एनईपी का लक्ष्य ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है, जिसकी जड़ें भारतीय लोकाचार में निहित हों, साथ ही सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडे से जुड़ी हों। इसमें हमारे युवाओं को मानवता और करुणा जैसे मूल्यों के साथ वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने की आकांक्षा है।’’

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