जरुरी जानकारी | नए एफटीए और बिजली, भूमि की कम लागत बढ़ाएगी देश का निर्यातः पीएचडी रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 23 नवंबर समग्र व्यापार समझौतों, पूंजी की लागत में कटौती, बिजली और भूमि सुधार जैसे उपायों से वर्ष 2030 तक भारत का वस्तु एवं सेवा निर्यात दो लाख करोड़ डॉलर तक ले जाने में मदद मिलेगी। एक उद्योग मंडल की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) की इस रिपोर्ट में निर्यात को बढ़ाने के लिए समुद्री उत्पादों, लौह अयस्क, कुछ रसायनों, दवाओं, कपास, एल्युमीनियम और टैंकर समेत 75 संभावित निर्यात उत्पादों के लिए योजनाएं लाने की भी सिफारिश की गई है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘इन उत्पादों की पहचान नौ संभावनाशील क्षेत्रों से की गई है। ये उत्पाद लगभग 222 अरब डॉलर का योगदान देते हैं जो देश के कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत है। भारत वैश्विक बाजारों में बड़े पैमाने पर संभावनाओं की तलाश करते हुए इन वस्तुओं का निर्यात बढ़ा सकता है, क्योंकि वे वैश्विक निर्यात का केवल छह प्रतिशत हिस्सा हैं।’’
शोध रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का सेवा निर्यात पारंपरिक रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप में केंद्रित रहा है लेकिन एशिया, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका जैसे महाद्वीप भी वृद्धि की व्यापक संभावनाएं समेटे हुए हैं।
रिपोर्ट में नए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को समग्र बनाने का सुझाव देते हुए कहा गया है कि सेवा क्षेत्र में भारत को तुलनात्मक रूप से बढ़त होने से इन समझौते का विस्तार होगा और इनमें विविधता भी आएगी। ऐसे समझौते देश के प्रतिस्पर्धी सेवा क्षेत्र के लिए अधिक संतुलित अवसर प्रदान करेंगे।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा प्रदान किए गए गतिशील नीतिगत परिवेश के अलावा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ने के निर्यातकों के प्रयासों ने भी देश से होने वाले निर्यात को बढ़ाने का काम किया है।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, रेपो दर में कटौती से उधारी की दरों में कमी आएगी जो कारोबार क्षेत्र की पूंजी लागत को कम करेगा और घरेलू मांग में वृद्धि होगी। ऐसा होने पर घरेलू बाजार में उत्पादकों और अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यातकों की प्रतिस्पर्द्धा क्षमता बढ़ेगी।
रिपोर्ट में सरकार को मानव संसाधन के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव भी दिया गया है। इसमें सरकार की तरफ से पिछले कुछ वर्षों में बिजली की लागत में कटौती और भूमि अधिग्रहण की दिशा में किए गए सुधारों का जिक्र भी किया गया है।

प्रेम

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