देश की खबरें | दिल्ली के ‘सर्जरी घोटाले’ में पुलिस कर रही है दूसरे डॉक्टर की संलिप्तता की संभावना की जांच

नयी दिल्ली, 17 नवंबर दिल्ली पुलिस ग्रेटर कैलाश के एक क्लीनिक में हुए ‘सर्जरी घोटाले’ में फरीदाबाद के एक अन्य डॉक्टर की संलिप्तता की संभावना का पता लगा रही है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
इस क्लीनिक में दो मरीजों की सर्जरी में कथित संलिप्तता को लेकर मंगलवार को दो डॉक्टरों और दो फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों मरीजों की मौत हो गयी थी।
बृहस्पतिवार को गिरफ्तार आरोपियों अग्रवाल मेडिकल सेंटर चलाने वाले नीरज अग्रवाल और जसप्रीत सिंह (दोनों एमबीबीएस डॉक्टर), अग्रवाल की पत्नी पूजा और पूर्व प्रयोगशाला तकनीशियन महेंद्र सिंह को फिर से एक अदालत में पेश किया गया था जिसने उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
पुलिस सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि इस मामले की जांच के दौरान यह सामने आया कि इस क्लीनिक में की गई विभिन्न सर्जरी में फरीदाबाद के एक अन्य डॉक्टर के नाम का भी इस्तेमाल किया गया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘ यदि फरीदाबाद का यह डॉक्टर इस रैकेट में संलिप्त पाया जाता है तो हम उस पर भी मामला दर्ज कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पुलिस कुछ अन्य लोगों की संभावित भूमिका की भी जांच कर रही है जो आरोपियों के संपर्क में थे।
ये सर्जरी पित्ताशय की थैली से पथरी निकालने तथा सीजेरियन (ऑपरेशन द्वारा) प्रसव के लिए की जाती थीं।
पुलिस ने बताया था कि अग्रवाल सर्जरी करने में अपनी पत्नी तथा पूर्व प्रयोगशाला तकनीशियन महेंद्र सिंह समेत अयोग्य लोगों की मदद लेता था जबकि जसप्रीत सिंह फर्जी सर्जरी नोट तैयार करता था।
पुलिस के अनुसार अग्रवाल के घर और क्लीनिक की तलाशी के दौरान उसने 414 पर्चियां, दो रजिस्टर, कई प्रतिबंधित दवाइयां एवं सूइयां जब्त कीं। उसके अनुसार इन पर्चियों में ऊपर काफी जगह खाली छोड़कर बस डॉक्टरों के हस्ताक्षर थे तथा रजिस्टर में उन मरीजों का ब्योरा था जिनका इस क्लीनिक में गर्भपात किया गया था।
पुलिस ने कहा कि जांच से खुलासा हुआ है कि 2016 से अग्रवाल मेडिकल सेंटर, नीरज और पूजा अग्रवाल के खिलाफ दिल्ली चिकित्सा परिषद में कई शिकायतें की गयी थी। इन सभी मामलों में कथित लापरवाही के चलते मरीजों की जान चली गयी थी।
अक्टूबर में शिकायतें मिलने के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने अग्रवाल मेडिकल सेंटर का लाइसेंस रद्द करने के लिए चिकित्सा परिषद को पत्र भी लिखा है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पुलिस इस मामले में गर्भपात कानून से संबंधित धाराएं जोड़ सकती है।

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