नयी दिल्ली, 10 नवंबर आपराधिक एवं प्रक्रियात्मक कानूनों की जगह लेने के लिए लाये गए तीन विधेयकों पर रिपोर्ट शुक्रवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सौंप दी गई।
उपराष्ट्रपति सचिवालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि गृह मामलों पर स्थायी समिति के अध्यक्ष बृज लाल ने संसद में धनखड़ से मुलाकात की और उन्हें तीनों रिपोर्ट सौंप दी है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक अगस्त में लोकसभा में पेश किये जाने के शीघ्र बाद, लोकसभा अध्यक्ष से इनकी गहन पड़ताल के लिए स्थायी समिति को भेजने का आग्रह किया था।
शाह ने आपराधिक न्यायशास्त्र को दिशानिर्देशित करने वाले कानूनों के मौजूदा समूह को औपनिवेशिक विरासत बताया था और कहा था कि उनमें दंडित करने पर जोर दिया गया है, जबकि प्रस्तावित कानून न्याय को प्राथमिकता देंगे।
राज्यसभा सचिवालय के तहत आने वाली गृह मामलों पर स्थायी समिति को उन विधेयकों की पड़ताल करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए संसद में पेश किये गए हैं।
ये तीनों कानून भारतीय आपराधिक न्यायशास्त्र के मुख्य आधार हैं।
इस महीने की शुरूआत में, संसदीय समिति ने कुछ संशोधन सुझाते हुए तीनों रिपोर्ट स्वीकार की थी, लेकिन इन विधेयकों के हिंदी नामों पर वह अडिग रही। वहीं, करीब 10 विपक्षी सदस्यों ने लिखित में असहमति दर्ज कराई थी।
समिति ने मौजूदा कानूनों के बहुत उदार होने की आलोचना के बीच, लापरवाही से हुई मौतों पर कहीं अधिक कड़े प्रावधान करने की सिफारिश की है।
समिति ने लोकसेवक को अपने कर्तव्य निर्वहन से रोकने के दोषियों की सजा घटाने का प्रस्ताव भी दिया है।