देश की खबरें | इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने ‘गलत इरादे’ से स्थानांतरण का आरोप लगाया

प्रयागराज, 22 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने अपने विदाई भाषण में आरोप लगाया है कि वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से उनका स्थानांतरण उन्हें ‘‘परेशान’’ करने के लिए किया गया था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने उनका स्थानांतरण किया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा मंगलवार को न्यायमूर्ति दिवाकर की सेवानिवृत्ति पर एक विदाई समारोह आयोजित किया गया था। इसमें न्यायमूर्ति दिवाकर ने कहा कि ‘‘उन्हें लगता है कि उनके स्थानांतरण का आदेश गलत इरादे से जारी किया गया।’’
ऐसे मौके पर किसी न्यायाधीश द्वारा ऐसी टिप्पणी करना असामान्य है।
न्यायमूर्ति दिवाकर ने कहा, “31 मार्च, 2009 को मेरी प्रोन्नति पीठ पर हुई। मैंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के तौर पर अक्टूबर, 2018 तक अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। मेरे कार्यों से सभी संतुष्ट थे। अचानक भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मुझ पर अधिक ही प्यार दिखाया जिसकी वजह मुझे अब भी नहीं पता। उन्होंने मेरा स्थानांतरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कर दिया जहां मैंने तीन अक्टूबर, 2018 को कार्यभार ग्रहण किया।”
उन्होंने कहा, “मेरा स्थानांतरण आदेश मुझे परेशान करने के इरादे से जारी हुआ प्रतीत हुआ। हालांकि, यह मेरे लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि मुझे मेरे साथी न्यायाधीशों और बार के सदस्यों की तरफ से जबरदस्त सहयोग और समर्थन मिला।”
इस साल की शुरुआत में, न्यायमूर्ति दिवाकर के नाम की सिफारिश प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचू़ड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए की गई और न्यायमूर्ति दिवाकर को 13 फरवरी, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने 26 मार्च, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली।
न्यायमूर्ति दिवाकर ने कहा, “मैं मौजूदा प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ जी का अत्यधिक आभारी हूं जिन्होंने मेरे साथ हुए अन्याय को सुधारा।”
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति दिवाकर ने यह सुझाव भी दिया कि आलोचकों को किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले खामियों को जरूर देखना चाहिए। उन्होंने कहा, “इस अदालत के कामकाज को लेकर विभिन्न हलकों से आलोचना की जाती है, लेकिन मेरा दृढ विश्वास है कि किसी खास निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले जहां तक संभव हो, इस संस्थान में मौजूद खामियों को भीतर से अवश्य देखना चाहिए और समस्या में ही समाधान निहित है।”
न्यायमूर्ति दिवाकर ने अपने करियर के बारे में चर्चा की। उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 1984 में एक अधिवक्ता के तौर पर अपना करियर शुरू किया। वर्ष 1961 में जन्मे न्यायमूर्ति दिवाकर ने जबलपुर में दुर्गावती विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक किया और जनवरी, 2005 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने। उन्हें 31 मार्च, 2009 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।
उन्होंने कहा, “मैंने जज (न्यायाधीश) बनने का कभी लक्ष्य नहीं रखा, लेकिन भाग्य को कुछ और मंजूर था। मेरा मानना है कि जब आप अपने पेशे से प्यार करते हैं तो समय आपको सफलता की ओर ले जाता है।”
न्यायमूर्ति दिवाकर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत कर रहे अधिवक्ताओं की भी सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘इलाहाबाद उच्च न्यायालय और इसकी लखनऊ पीठ में अधिवक्ताओं की गुणवत्ता और इनका व्यवहार प्रशंसनीय है। अन्य उच्च न्यायालय के वकीलों की तरह ही इनकी विधि दक्षता और प्रस्तुति अच्छी है।’’

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *