भुवनेश्वर, 23 नवंबर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को अपनी जमीन गैर-जनजातीय लोगों को बेचने की अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले पर ओडिशा विधानसभा में विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन हंगामा किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं कांग्रेस ने सदन में अपना विरोध प्रदर्शन और तेज कर दिया तथा राज्य मंत्रिमंडल का फैसला वापस लिए जाने की मांग की।
विपक्ष के सदस्य आसन के समक्ष आ गए और उन्होंने बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रमिला मलिक ने सदन की कार्यवाही को शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भाजपा विधायकों ने राज्यपाल रघुबर दास से मुलाकात कर उन्हें जनजातीय समुदाय से जुड़े भूमि हस्तांतरण के मामले पर एक ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन तक मार्च किया।
जल संसाधन मंत्री तुकुमी साहू ने सिंचाई सुविधाओं पर एक सवाल का जवाब दिया और इसके बाद विधानसभा केवल तीन मिनट तक ही कामकाज कर सकी।
सदस्य प्रश्नकाल के लिए पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे जैसे ही एकत्र हुए, भाजपा और कांग्रेस के सदस्य आसन के सामने आकर नारे लगाने लगे और उन्होंने अनुसूचित जनजाति बहुल इलाकों में आदिवासी लोगों को अपनी जमीन गैर-जनजातीय लोगों को बेचने की अनुमति देने के राज्य सरकार के फैसले को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की।
भाजपा सदस्यों ने सदन में तख्तियां लहराईं और नारे लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इस फैसले से कॉपरपोरेट घरानों को राज्य के खनिज समृद्ध क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों की भूमि हड़पने का मौका मिल जाएगा ।
कांग्रेस के सचेतक ताराप्रसाद बाहिनीपति के नेतृत्व में पार्टी सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के समीप जाने की कोशिश की और बीजद सरकार को ‘‘जनजातीय विरोधी’’ बताते हुए नारे लगाए।
कांग्रेस सदस्यों ने ओडिशा के अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पीईएसए) अधिनियम, 1996 के उचित कार्यान्वयन की भी मांग की।
ओडिशा मंत्रिमंडल ने 14 नवंबर को एक कानून में संशोधन करने का फैसला किया था ताकि अनुसूचित क्षेत्रों में रह रहे अनुसूचित जनजाति के लोग उप जिलाधिकारी से एक लिखित अनुमति के साथ अपनी जमीन गैर-आदिवासियों को बेच सकें, लेकिन दो दिन बाद सरकार ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी।
भाजपा इसे पूरी तरह वापस लिए जाने की मांग कर रही है।