मथुरा (उप्र), 22 नवम्बर मथुरा जिले के फरह क्षेत्र में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली दीनदयाल धाम के पास परखम गांव में 20 करोड़ रुपए की लागत से उनके नाम पर एशिया का सबसे बड़ा गौ विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत आगामी 28 नवंबर को इसका लोकार्पण करेंगे।
दीनदयाल धाम की दीनदयाल कामधेनु गौशाला समिति के निदेशक राजेंद्र सिंह ने बताया कि मथुरा के परखम गांव में जन सहयोग से एकत्र किए गए 20 करोड़ की लागत से दीनदयाल गऊ ग्राम में दीनदयाल गौ विज्ञान, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा अनूठा केन्द्र होगा, जहाँ गौवंश नस्ल सुधार, पंचगव्य की गुणवत्ता सुधार पर विश्वस्तरीय अनुसंधान कार्य किए जाएंगे।
सिंह ने बताया कि 28 नवंबर को इस केंद्र के लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉक्टर मोहन भागवत होंगे।
उन्होंने बताया कि गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र गाय से संबंधित विभिन्न विषयों पर अनुसंधान कार्य करेगा और गव्य उद्यमिता विकसित करने के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि यह विश्वपटल पर गाय से मनुष्यों के संवर्धन का उच्चतम मानक स्थापित करेगा तथा यहां विभिन्न विश्वस्तरीय प्रयोगशालाओं जैसे ‘ट्रॉसलेशनल रिसर्च सेन्टर‘, ‘मौलिक्यूलर बायोलॉजिकल टेस्टिंग लैब’ और ‘एनिमल लैब’ का निर्माण किया जाएगा।
सिंह ने बताया कि गऊ ग्राम में इस अनुसंधान केंद्र की स्थापना सहित आगामी दो वर्ष में दो सौ करोड़ की लागत से 15 अन्य प्रशिक्षण केंद्र और प्रकल्प भी स्थापित किए जाएंगे। उनका कहना था कि इसके लिए युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हैं।
निदेशक ने कहा कि इस केंद्र में एक आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा संस्थान बनेगा जो देश का पहला पशु चिकित्सालय होगा और वहां आयुर्वेद से पशु चिकित्सा का अध्ययन एवं चिकित्सा की जाएगी।
उन्होंने बताया कि भारत की पारंपरिक पशु चिकित्सा पद्धति का व्यवहारिक प्रयोग किया जाएगा। उनका कहना था कि एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र भी स्थापित किया जाएगा जो आयुर्वेद की वैदिक मान्यता के लिए साक्ष्य आधारित शोध एवं पंचगव्य से मनुष्यों की चिकित्सा इत्यादि पर भी ध्यान केन्द्रित करेगा।
सिंह ने कहा कि नवाचार विद्यालय यह एक ऐसा विद्यालय होगा जहाँ विद्यार्थियों में तकनीकी, उत्पाद सेवा, रणनीति, संरचनात्मक, शिक्षा संस्कृति एवं नवाचार को धरातल पर उतारने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जाएगा। उनका कहना था कि नवाचार से देश का कैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान हो, इस विषय पर भी विद्यालय कार्य करेगा।