देश की खबरें | सिलक्यारा सुरंग बचाव अभियान: शीघ्र ही ‘ड्रिलिंग’ का काम फिर से शुरू होगा-एनडीएमए

नयी दिल्ली/शिमला, 24 नवंबर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने शुक्रवार शाम को कहा कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए मलबे के रास्ते ‘ड्रिलिंग’ का काम ‘शीघ्र ही’ फिर से शुरू होगा।
एनडीएमए सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बचाव कार्यों की प्रगति के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि अड़चनों के कारण बृहस्पतिवार को ‘ड्रिलिंग’ का काम रोक दिया गया था और ऑगर मशीन द्वारा ‘ड्रिलिंग’ का काम फिर से शुरू करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बृहस्पतिवार से सुरंग में मलबे के रास्ते पाइप डालने के काम में कोई और प्रगति नहीं हुई है…हमें उम्मीद है कि जल्द ही ऑगर मशीन काम करना शुरू कर देगी।’’
हसनैन ने बचाव कार्यों पर मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि हर हाल में फंसे हुए श्रमिकों को बचाया जायेगा और इसके लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए लगभग 15 मीटर की ‘ड्रिलिंग’ अभी भी बाकी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम बहुत सतर्क रहेंगे… हम लगभग 46.57 मीटर के आसपास हैं।’’
बचाव अभियान का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी तरह की कोई बाधा नहीं आई तो ऑगर मशीन से एक घंटे में लगभग 4-5 मीटर तक की ‘ड्रिल’ की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान है।’’
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि श्रमिकों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ के लिए आवश्यक उपकरण मौके पहुंच गए हैं।
हसनैन ने मीडिया को सलाह दी कि बचाव अभियान पूरा होने की समय सीमा के बारे में अटकलें न लगाएं, क्योंकि इससे गलत धारणा पैदा होती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अभियान है।’’
एनडीएमए सदस्य ने यह भी कहा कि सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उनके रिश्तेदारों, केंद्रीय मंत्री वी. के. सिंह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनसे बात की है।
बृहस्पतिवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा था, क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ‘ड्रिलिंग’ मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखाई दीं। इसके बाद ‘ड्रिलिंग’ रोक दी गई थी।
हसनैन ने यह भी कहा कि केंद्रीय एजेंसियां और कई राज्य सरकारें बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा कि बचाव अभियान पर सलाह देने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ घटनास्थल पर मौजूद हैं।
इस बीच एनएचएआई के एक अधिकारी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 12 निर्माणाधीन सुरंगों का निरीक्षण और सुरक्षा ऑडिट तीसरे पक्ष द्वारा किया जाएगा और सुरंगों के पास ‘ड्रिलिंग’ मशीनें तैनात की जाएंगी, जिनका इस्तेमाल उत्तराखंड जैसी स्थिति उत्पन्न होने पर किया जाएगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा ऑडिट में चट्टान की स्थिरता से लेकर निर्माण में प्रयुक्त सामग्री तक सभी कारकों का विश्लेषण किया जाएगा।
उन्होंने शुक्रवार को ‘पीटीआई-’ को बताया कि हिमाचल में 85 किलोमीटर लंबी कुल 68 सुरंगें बनाई जाएंगी, जिससे सड़क की दूरी लगभग 130 किलोमीटर कम हो जाएगी।

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