विदेश की खबरें | श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने राजपक्षे बंधुओं को देश में आर्थिक संकट के लिए ठहराया जिम्मेदार

कोलंबो, 14 नवंबर श्रीलंका की शीर्ष अदालत ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, पूर्व वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन कर लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया है।
अदालत ने कहा कि राजपक्षे बंधुओं और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की वजह से देश को अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। श्रीलंका ने अप्रैल 2022 में आर्थिक दिवालिया होने की घोषणा की थी जो आजादी के बाद सरकार द्वारा देनदारी चूक की पहली घटना थी। द्विपीय देश को इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक दौर से तब गुजरना पड़ा था जब विदेशी मुद्रा भंडार न्यूनतम स्तर पर चला गया और लोग ईंधन, उर्वरक और आवश्यक सामग्री की कमी के मद्देनजर सड़कों पर उतर आए।
उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने 2022 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल श्रीलंका और चार अन्य कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया।
पीठ ने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राजपक्षे बंधुओं, पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे सहित अन्य प्रतिवादी 2019 से 2022 के बीच देश में आर्थिक कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार थे।
अदालत ने सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (सीबीएसएल) के पूर्व गवर्नर अजित निवार्ड कैब्राल और डब्ल्यूडी लक्ष्मण और वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव पीबी जयसुंदरा और एसआर अट्टीगले को भी नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन का दोषी पाया।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान गोटबाया राजपक्षे ने 2019 में व्यवसायों को 681 अरब श्रीलंकाई रुपये की कर रियायत दी थी जो आर्थिक मंदी का मुख्य कारण था।
देश में आर्थिक संकट के बाद शुरू विरोध प्रदर्शन के कारण महिंदा राजपक्षे को मई 2022 में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जबकि गोटबाया राजपक्षे ने जुलाई में इस्तीफा दे दिया था। पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भी पिछले साल जून में अपना पद छोड़ दिया था।

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