देश की खबरें | तेलंगाना चुनाव: केसीआर के पैतृक गांव वालों को क्षेत्र में और अधिक विकास की उम्मीद

कामारेड्डी, 21 नवंबर तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के.चंद्रशेखर राव के कामारेड्डी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने से उनका पैतृक गांव कोनापुर भी सुर्खियों में बना हुआ है। इसकी वजह गांव का विकास है, तथा यहां के लोगों को उनसे और अधिक उम्मीदें हैं।
बीआरएस प्रमुख गजवेल विधानसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं।
केसीआर के नाम से लोकप्रिय राव का जन्म 17 फरवरी 1954 को कोनापुर गांव में स्थित उनके नाना के घर में हुआ था। यह गांव 1950 में ऊपरी मनैर बांध के निर्माण के कारण आंशिक रूप से जलमग्न हो गया था। कुछ घर बच गये थे, जिनमें मुख्यमंत्री के नाना-नानी का घर भी शामिल था।
राव के नाना-नानी के निधन के बाद गांव में उनका दो मंजिला मकान छोड़कर उनके माता-पिता तत्कालीन मेडक जिले के चिंतामदका गांव में आकर बस गये थे। इस समय केसीआर बहुत छोटे थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और स्नातक सिद्दीपेट में और स्नातकोत्तर की पढ़ाई हैदराबाद में की।
स्थानीय लोगों के अनुसार, राव के नाना-नानी का पुराना घर अब जर्जर हालत में है। पूर्व में कुछ नक्सली इसका आश्रय के रूप में इस्तेमाल करते थे। वर्तमान में इसके अंदर झाड़ियां उग आई हैं और सांपों का डेरा है।
अब 69 वर्ष के बाद केसीआर अपनी जन्म भूमि को कर्म भूमि बनाने के लिए यहां वापस आ गए हैं।
गजवेल के बाद कामारेड्डी दूसरा विधानसभा क्षेत्र है जहां से मुख्यमंत्री पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस के राज्य प्रमुख रेवंत रेड्डी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के के. वेंकटरमन रेड्डी से उनका मुकाबला है।
मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और वकील जी रामाराव ने ‘पीटीआई-’ को बताया, ‘‘केसीआर का जन्म कोनापुर में हुआ था। गांव के डूबने के बाद उनके माता-पिता चिंतामदका चले गए, जबकि नाना-नानी कुछ समय तक वहीं रहे।’’

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