देश की खबरें | तेलंगाना चुनाव: कामारेड्डी क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला, लेकिन बीआरएस को मिल सकता है फायदा

कामारेड्डी (तेलंगाना), 22 नवंबर तेलंगाना में आगामी विधानसभा चुनाव में कामारेड्डी सीट पर वैसे तो त्रिकोणीय मुकाबला है लेकिन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) के यहां से चुनाव लड़ने, पार्टी की संगठनात्मक मजबूती और अपेक्षाकृत कमजोर विपक्ष पर बढ़त के कारण भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को यहां फायदा हो सकता है।
कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता के. वेंकट रमन रेड्डी मुख्यमंत्री के खिलाफ इस सीट से चुनाव मैदान में हैं।
तेलंगाना में 30 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा।
पांच बार के विधायक गम्पा गोवर्धन इस सीट से बीआरएस के विधायक थे लेकिन राव ने दूसरी सीट, कामारेड्डी से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रेड्डी को उनसे कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने भी पूर्व मंत्री मोहम्मद अली शब्बीर को इस सीट के बजाय निजामाबाद शहरी निर्वाचन क्षेत्र सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
दूसरी ओर, भाजपा ने एक स्थानीय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है जो 2018 के विधानसभा चुनावों में 15,000 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।
केसीआर के लिए कामारेड्डी विधानसभा सीट उनका पैतृक स्थल है क्योंकि उनका जन्म कोनापुर गांव में उनके नाना-नानी के घर में हुआ था। उनके परिवार के सदस्य अभी भी कामारेड्डी में रहते हैं और मजबूती के साथ उनका समर्थन कर रहे हैं।
भाजपा उम्मीदवार रमन रेड्डी ने ‘‘स्थानीय बनाम बाहरी’’ का मुद्दा बना लिया है और कोनापुर गांव में चुनाव प्रचार करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यदि केसीआर जीतते हैं, तो आपको अंततः गम्पा से संपर्क करना होगा। यदि रेवंत रेड्डी जीतते हैं, तो आपको शब्बीर भाई से संपर्क करना होगा। आप सीधे निर्वाचित विधायकों से नहीं मिल पाएंगे। लेकिन मैं आपके लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा, इसे ध्यान में रखें और निर्णय लें।’’
कई कांग्रेस समर्थकों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि अगर किसी स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिया जाता तो पार्टी बीआरएस को कड़ी टक्कर दे पाती। रेवंत रेड्डी के भाई कोंडल रेड्डी निर्वाचन क्षेत्र में अभियान का प्रबंधन कर रहे हैं, जबकि रेवंत रेड्डी पूरे राज्य में प्रचार करने में व्यस्त हैं।
एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक नवीन ने ‘पीटीआई-’ को बताया, ‘‘अगर शब्बीर को टिकट दिया गया होता, तो बीआरएस और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर हो सकती थी। रेवंत रेड्डी का लोगों से कोई सरोकार नहीं है और वह हमारे लिए एक बाहरी हैं।’’

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