देश की खबरें | तेलंगाना अयोग्य लोगों के हाथों में नहीं जाना चाहिये : केसीआर

हैदराबाद, आठ नवंबर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सुप्रीमो के.चंद्रशेखर राव ने बुधवार को कहा कि अगर राज्य अयोग्य लोगों के हाथों में चला गया तो तेलंगाना में विकास की गति प्रभावित होगी।
प्रदेश के सिरपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि 2014 में जब तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था, तब पानी और बिजली आपूर्ति की समस्या, किसानों की आत्महत्या, भूख से मौत और उद्योगों का बंद होना आम बात थी।
उन्होंने कहा, हालांकि, प्रदेश की बीआरएस सरकार ने सभी समस्याओं का समाधान किया है और अब लोगों को विभिन्न कल्याणकारी लाभ प्रदान कर रही है।
राव ने दावा किया कि तेलंगाना हर घर में नल से पीने का पानी पहुंचाने वाला देश का एकमात्र राज्य है।
उन्होंने अपनी सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला, जिसमें 24 घंटे बिजली आपूर्ति, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, कल्याण लक्ष्मी योजना और किसानों के लिए ‘रायथु बंधु’ निवेश सहायता योजना शामिल है।
उन्होंने किसानों को केवल तीन घंटे बिजली आपूर्ति का कथित तौर पर समर्थन करने और रैयतों के लिए ‘रायथु बंधु’ योजना को ‘व्यर्थ व्यय’ करार देने को लेकर कांग्रेस नेताओं की निंदा की।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या यह फिजूलखर्ची है ?
केसीआर के नाम से प्रसिद्ध राव ने रैली में मौजूद लोगों से कहा, ‘‘आपको निर्णय करना चाहिये क्या बेकार है और कौन बेकार है ।’’
तेलंगाना गठन का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछली संप्रग सरकार के दौरान राज्य के गठन में देरी की थी।
उन्होंने कांग्रेस पर तेलंगाना का (अविभाजित आंध्र प्रदेश बनाने के लिए) आंध्र में ‘जबरदस्ती’ विलय करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस को ‘धोखेबाज’ पार्टी करार देते हुए केसीआर ने कहा कि उसने 2004 में तेलंगाना के गठन के वादे पर बीआरएस (तब टीआरएस) के साथ गठबंधन किया था।
राव ने दावा किया कि लोगों के लंबे आंदोलन और उनके अनिश्चितकालीन अनशन के बाद, तत्कालीन संप्रग सरकार ने तेलंगाना के गठन की घोषणा की थी, लेकिन वह फिर से अपनी बात से मुकर गई।
उन्होंने कहा कि समाज के सभी वर्गों के आंदोलन के बाद, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी ने बाध्यकारी परिस्थितियों में अलग राज्य के गठन के लिए कदम उठाया।
राव ने मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपनी अपील दोहराई कि उनके जीवित रहते तेलंगाना एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बना रहेगा।
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।

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