देश की खबरें | शिवकुमार के खिलाफ जांच की सहमति वापस लेने का फैसला सिर्फ ‘प्रक्रियागत त्रुटि’ ठीक करने के लिए

बेंगलुरु, 24 नवंबर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए दी गई सहमति वापस लेने के मंत्रिमंडल के कदम का बचाव करते हुए राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने उनके विरूद्ध आय से अधिक संपत्ति मामले में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की ओर से हुई ‘प्रक्रियागत त्रुटि’ को सिर्फ ठीक किया है।
परमेश्वर ने कहा कि कांग्रेस सरकार का फैसला शिवकुमार को बचाने के लिए राजनीति से प्रेरित नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) अपने अनुसार इसका मतलब निकालने के लिए स्वतंत्र हैं।
गृह मंत्री ने निर्णय के राजनीति से प्रेरित होने के आरापों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘(बीएस) येदियुरप्पा ने (मुख्यमंत्री रहने के दौरान)मुख्य सचिव को मामले की जांच के लिए सीबीआई को मंजूरी देने का मौखिक निर्देश दिया था। क्या यह राजनीतिक से प्रेरित नहीं था? हमने जो कुछ भी किया है वह कानून के दायरे में है। (पूर्ववर्ती) भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन महाधिवक्ता ने खुद कहा था और हमारे महाधिवक्ता ने भी यही बात कही है।’’
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने कानून के तहत और इसकी सीमाओं के अंदर फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, ऐसा नहीं है कि हमने जो किया है वह राजनीति से प्रेरित है और उन्होंने जो किया वह (राजनीति से प्रेरित) नहीं था, दोनों एक ही है।’’
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को कहा था कि प्रदेश कांग्रेस प्रमुख शिवकुमार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच के लिए सीबीआई को मंजूरी देने का पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का कदम कानून के अनुरूप नहीं था तथा इसीलिए यह मंजूरी वापस लेने का फैसला किया गया है।
अदालत में लंबित मामले के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि भविष्य में क्या होगा। हम कानून के दायरे में लिए गए मंत्रिमंडल के फैसले से अदालत को अवगत कराएंगे।’’
उनसे यह भी पूछा गया था कि अदालत ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका की सुनवाई करते हुए, शिवकुमार को अभियोजित करने की अनुमति देने में प्रक्रियागत खामी होने की दलील स्वीकार नहीं की थी।
परमेश्वर ने कहा, ‘‘सीबीआई और अदालत आगे जो कुछ करेगी, यह उन पर और प्रणाली पर निर्भर करता है, और अभी इस बारे में अनुमान नहीं लगा सकते।
यह पूछे जाने पर कि अदालत में मामला लंबित रहने के दौरान क्या यह न्यायपालिका के साथ टकराव की ओर ले जाएगा, परमेश्वर ने कहा कि सरकार केवल प्रक्रियागत खामी को ठीक कर रही है और कुछ नहीं।
उन्होंने उल्लेख किया, ‘‘किसी विधायक से जुड़े मामले में, यह नियम है कि विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति ली जाती है। इसका पालन किया जाना चाहिए था, इसके बाद यह प्रक्रियागत त्रुटि नहीं हुई होती। हम मामले के तथ्यों पर नहीं गए हैं। क्या उनके पास आय से अधिक संपत्ति है या उन्होंने यह अर्जित की है, हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है। प्रक्रियागत विषयों पर सरकार की एक जिम्मेदारी है, इसलिए हमने यह कदम उठाया है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या यह कांग्रेस की नैतिकता पर सवाल नहीं खड़े करती है, जो भाजपा पर 40 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगा कर राज्य में सत्ता में आई है। परमेश्वर ने कहा कि भाजपा या जद(एस) इसकी व्याख्या कैसे करते हैं यह उन पर निर्भर है, ‘‘हमने वही किया है जो कानून के दायरे में किया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने पूर्ववर्ती सरकार की प्रक्रियागत खामी को दुरूस्त किया है और सुधारात्मक कदम उठाये हैं…हमने इस पर गौर नहीं किया है कि उनके पास आय से अधिक संपत्ति है या नहीं। हमने इस पर एक शब्द तक नहीं कहा है।’’
उन्होंने कहा कि मुकदमे के लिए मंजूरी विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति लिए बगैर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को मौखिक रूप से दी थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या मामला लोकायुक्त या राज्य पुलिस को जांच के लिए दिया जाएगा, गृह मंत्री ने कहा कि सरकार कुछ दिनों में आदेश जारी करेगी और इससे अदालत को अवगत कराएगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद, अदालत जो भी निर्देश देगी, उसे ध्यान में रखते हुए आगे निर्णय लिया जाएगा।

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