देश की खबरें | हरियाणा निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाला कानून रद्द

चंडीगढ़, 17 नवंबर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला राज्य सरकार का एक कानून शुक्रवार को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय के इस फैसले को राज्य सरकार के लिये एक झटका के तौर पर देखा जा रहा है।
यह फैसला न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और न्यायमूर्ति हरप्रीत कौर जीवन ने सुनाया।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता अक्षय भान ने कहा कि पीठ ने पूरे अधिनियम को रद्द कर दिया। भान ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह दलील दी कि ‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020’ संविधान के अनुच्छेदों 14 और 19 का उल्लंघन करता है।
अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘…हमारी सुविचारित राय है कि रिट याचिकाएं मंजूर की जानी चाहिए और हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम, 2020 को असंवैधानिक और भारत के संविधान के भाग तीन का उल्लंघन करने वाला ठहराया जाता है और तदनुसार इसे अधिकारातीत माना जाता है और यह लागू होने की तारीख से निष्प्रभावी होगा।’’
अदालत ने राज्य के अभ्यर्थियों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले अधिनियम के क्रियान्वयन के खिलाफ कई याचिकाएं विचारार्थ स्वीकार की थीं। यह 15 जनवरी 2022 से प्रभावी हुआ था।
इसमें अधिकतम 30,000 रुपये तक के कुल मासिक वेतन या भत्ता देने वाली नौकरियां शामिल थीं।
फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की ओर से पेश हुए वकील भान ने कहा कि कई औद्योगिक संघों ने कानून के खिलाफ अदालत का रुख किया है। भान ने दलील दी कि राज्य के पास इस कानून को लागू करने के लिए अनुच्छेद 35 के तहत विधायी क्षमता नहीं है।
यह अधिनियम निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप कंपनी, साझेदारी कंपनी और ऐसे किसी भी व्यक्ति पर लागू था, जिसने विनिर्माण, व्यवसाय चलाने या हरियाणा में कोई सेवा प्रदान करने के लिए वेतन, मजदूरी या अन्य पारिश्रमिक पर 10 या अधिक व्यक्तियों को नियोजित किया हो।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मार्च 2021 में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी।
राज्य के मूल निवासी अभ्यर्थियों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना 2019 विधानसभा चुनावों के समय जननायक जनता पार्टी (जजपा) का एक प्रमुख चुनावी वादा था।
चुनावों के बाद, जजपा ने भाजपा को समर्थन दिया और सरकार बनाई, क्योंकि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने से चूक गई।

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