देश की खबरें | ”सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिक अगले कुछ घंटों में या शुक्रवार तक निकाले जा सकते हैं”

नयी दिल्ली, 23 नवंबर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तराखंड में सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को अगले कुछ घंटों या शुक्रवार तक बाहर निकाला जा सकता है।
श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए ‘ड्रिलिंग’ कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण बचाव कार्य अस्थायी रूप से रोक दिये गये थे।
हसनैन ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में या कल तक हम इस अभियान में सफल हो जायेंगे।’’
एनडीएमए सदस्य ने यह भी कहा कि कर्मियों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ में तीन-चार और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान की समयसीमा पर अटकलें लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि यह युद्ध लड़ने जैसा है।
उन्होंने कहा कि 41 एम्बुलेंस सुरंग स्थल पर मौजूद हैं और गंभीर स्थिति वाले श्रमिकों को हवाई मार्ग से ले जाने की भी सुविधाएं हैं।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था और पिछले 11 दिनों से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं जिन्हें निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।
सिलक्यारा में सुरंग में मलबे में ‘ड्रिलिंग’ के दौरान आई बाधा को दूर करने के बाद बृहस्पतिवार को सुबह फिर से बचाव अभियान शुरू कर दिया गया।
सरकार के नवीनतम मीडिया बुलेटिन के अनुसार, एनएचआईडीसीएल ने ऑगर बोरिंग मशीन का इस्तेमाल करके श्रमिकों को बचाने के लिए सिलक्यारा छोर से क्षैतिज बोरिंग फिर से शुरू कर दी है।
पाइप के सामने एक धातु की वस्तु (लैटिस गर्डर रिब) आ गई थी और पाइप को आगे नहीं डाला जा सका। गैस कटर का इस्तेमाल करके धातु की वस्तु को काटने का काम पूरा हो गया है।
मीडिया बुलेटिन में कहा गया है कि नौवें पाइप को डालने का काम अपराह्न 1310 बजे शुरू हुआ था और पाइप अतिरिक्त 1.8 मीटर तक पहुंचा दिया गया है।
सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए पांच-विकल्प कार्य योजना शुरू की है और पांच एजेंसियों अर्थात तेल और प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम, रेल विकास निगम, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो विकास निगम को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
मजदूरों को बचाने के लिए क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ के लिए आवश्यक उपकरण मौके पर पहुंच गए हैं।

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