जरुरी जानकारी | इस तरह कर सकते हैं उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित

विकासशील देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक बड़ा बाजार है, जिस तक अभी तक पहुंच स्थापित नहीं की गई है।
सही प्रोत्साहन दिए जाने पर उभरता हुआ मध्यम वर्ग.. जिसकी क्रय शक्ति भी बढ़ रही है… उनके इसकी ओर आकर्षित होने से नॉर्वे, आइसलैंड और स्वीडन की तरह इन देशों में ईवी की बिक्री में वृद्धि हो सकती है।
सक्रिय सरकारी नीतियों, निवेश समर्थन, ‘कर क्रेडिट’ और छूट जैसे प्रोत्साहनों से इन देशों में बाजार को बढ़ावा मिला है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की कई महत्वपूर्ण वजह हैं। 2021 में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल लगभग दोगुना हो गया। ग्लोबल वार्मिंग में जीवाश्म ईंधन का योगदान काफी अधिक है।
ईवी कम ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं और आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं। इसलिए यह जीवाश्म ईंधन से प्रदूषण के प्रभाव को कम करते हैं।
भारत और चीन के अलावा अभी तक विकासशील देशों में उपभोक्ताओं के ईवी अपनाने की दर अपेक्षाकृत धीमी है। इसका मुख्य कारण यह है कि ईवी अपनी अग्रिम लागत, बीमा, मरम्मत और बैटरी बदलने के साथ-साथ चार्जिंग लागत के कारण उतने सस्ते नहीं हैं।
समान आंतरिक दहन इंजन वाले वाहन की तुलना में ईवी खरीदना 40 प्रतिशत तक अधिक महंगा है। बिजली से चलने की संभावित दीर्घकालिक लागत बचत के बावजूद विकासशील देशों में उपभोक्ताओं के लिए यह प्राथमिक चिंता का विषय रहा है।
किसी इलेक्ट्रिक वाहन की प्रमुख लागत उसके ‘पावरट्रेन’ में होती है, जो कुल लागत का 51 प्रतिशत तक हो सकती है।
इसलिए ईवी पर लागत कम रखना बहुत चुनौतीपूर्ण है। हालांकि समाधान आपूर्ति श्रृंखला तथा उत्पादन नेटवर्क में सुधार किया जा सकता है।
इसके लिए विभिन्न आपूर्ति श्रृंखला स्तरों पर सहयोग की आवश्यकता होगी, कच्चे माल को बदलना और वाहनों को पूर्ण रूप से तैयार करने के साथ घटकों तथा बैटरी मॉड्यूल को एकीकृत करना होगा।
इसके लिए कार कंपनियों को क्षेत्रीय तथा घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करने की भी आवश्यकता होगी। यह एक जटिल, लेकिन संभव काम है।
टेस्ला, बीवाईडी, जनरल मोटर्स और वोक्सवैगन जैसी वैश्विक ईवी कंपनियां अपना विनिर्माण विकासशील देशों में भेज सकती हैं जो निवेशक-अनुकूल नीतियों की पेशकश करते हैं।
उदाहरण के लिए, मर्सिडीज-बेंज पूरी तरह से इलेक्ट्रिक ईक्यूएस 500 मॉडल बनाने के लिए थाईलैंड में अपने मौजूदा कारखाने का इस्तेमाल कर रही है, जो जर्मनी के बाहर कंपनी द्वारा बनाया जाने वाला पहला ईवी है। कंपनी वहां बैटरियां भी बनाती है।
थाईलैंड ने खुद को क्षेत्रीय ईवी विनिर्माण केंद्र में बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसने कई वैश्विक ईवी कंपनियों को कर प्रोत्साहन और सब्सिडी के साथ आकर्षित किया है।
चीनी ईवी निर्माता बीवाईडी न केवल अपनी कारों को दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप में निर्यात करने के लिए, बल्कि थाईलैंड घरेलू बाजार के लिए ईवी का निर्माण करने के लिए थाईलैंड में एक सुविधा स्थापित कर रहा है।
इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े यात्री मोटर वाहन बाजार हैं।
टोयोटा, होंडा और मर्सिडीज-बेंज के पास पहले से ही कार-निर्माण क्षमताएं, उत्पादन नेटवर्क और सबसे महत्वपूर्ण सस्ती वस्तुओं तक पहुंच है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की पहुंच को और अधिक किफायती बनाने के लिए आपूर्ति श्रृंखला तथा उत्पादन नेटवर्क में सुधार से ईवी को अंततः जीवाश्म-ईंधन वाहनों की तुलना में सस्ता व अधिक आकर्षक बनने में मदद मिलेगी।
(360 इंफो)

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