टोरंटो, 23 नवंबर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत द्वारा आयोजित जी20 नेताओं के एक वर्चुअल सम्मेलन में भाग लिया और कानून तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को बनाये रखने तथा लोकतांत्रिक प्रणालियों को मजबूत करने के लिए जी20 के समन्वित नेतृत्व और कार्रवाई के महत्व को रेखांकित किया।
ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के ट्रूडो के आरोपों के बाद कनाडा और भारत के बीच संबंधों में तनाव के बीच कनाडा के प्रधानमंत्री की शिखर सम्मेलन में भागीदारी हुई है। भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताकर खारिज कर दिया है।
इससे पहले ट्रूडो ने सितंबर में नई दिल्ली में जी20 सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से भाग लिया था। ट्रूडो के कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि वर्चुअल सम्मेलन जी20 के नेताओं के लिए जी20 के नई दिल्ली घोषणापत्र में रेखांकित लक्ष्यों पर आगे बढ़ने का अवसर था।
उसने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सम्मेलन में कानून और अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को बनाए रखने, लोकतांत्रिक प्रणालियों को मजबूत करने और वित्तीय संस्थान सुधार, लैंगिक समानता तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी सहित वैश्विक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए समन्वित जी20 नेतृत्व और कार्रवाई के महत्व पर प्रकाश डाला।
दुनियाभर के लोगों के लिए मजबूत और स्वस्थ भविष्य के लिए उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार के महत्व को भी रेखांकित किया।
ट्रूडो ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करते हुए इसे ‘जघन्य और अन्यायोचित’ करार दिया। उन्होंने कहा कि रूस को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। ट्रूडो ने कहा कि दुनियाभर में सबसे अधिक कमजोर लोग युद्ध के वैश्विक प्रभावों से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं।
उन्होंने आतंकवादी संगठन हमास और इजराइल के खिलाफ उसके जघन्य हमलों की अपनी निंदा दोहराई। उन्होंने गाजा में मानवीय युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई पर समझौते में हुई प्रगति का भी उल्लेख किया।
बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री और जी20 के अन्य नेताओं ने गाजा में गंभीर मानवीय स्थिति पर विचारों का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने गाजा में नागरिकों की रक्षा करने और जीवन रक्षक मानवीय सहायता तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने ‘इस्लामोफोबिया’, यहूदी विरोधी भावना और अरब विरोधी भेदभाव में चिंताजनक वृद्धि की निंदा की।’’