देश की खबरें | उत्तराखंड : सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो मिला, बचाव अभियान बहाल

उत्तरकाशी/नयी दिल्ली, 21 नवंबर बचाव अभियान के दसवें दिन मंगलवार को सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो सामने आया जिसने उनके परिवारों की उम्मीद के साथ ही बचावकर्मियों का मनोबल भी बढ़ा दिया।
अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने मलबे को काटकर निकासी मार्ग से श्रमिकों को निकालने का रुका हुआ अभियान फिर से शुरू कर दिया है। सुरंग में फंसे श्रमिकों को पाइप के माध्यम से रात के खाने के लिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गई।
रसोइया संजीत राणा ने बताया कि डॉक्टर की देखरेख में कम तेल और मसालों के साथ तैयार किए गए रात्रिभोज की आपूर्ति श्रमिकों को 150 पैकेट में की गई। उन्होंने कहा, ‘‘दिन में उन्हें फल भेजे गए थे।’’
अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से सेब, संतरे, मौसमी और केले जैसे फल व इलेक्ट्रॉल जैसी आवश्यक दवाइयां पहुंचाईं गईं।
दिल्ली में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शाम को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) ने सिल्क्यारा की तरफ से क्षैतिज बोरिंग अभियान फिर से शुरू कर दिया है।
बचावकर्मियों ने चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के बाड़कोट-छोर पर भी दो विस्फोट किए, जिससे नौ दिन से अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए एक और सुरंग को ड्रिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिससे उसमें मलबे के दूसरी ओर श्रमिक फंस गए।
मलबे में छेद करने वाली अमेरिका निर्मित एक बड़ी मशीन ने शुक्रवार दोपहर को एक कठोर चट्टान तो भेद दी लेकिन कंपन शुरू हो जाने से सुरक्षा चिंताओं के कारण बचावकर्मियों को अभियान रोकना पड़ा।
हालांकि, बचावकर्मी अन्य विकल्पों की तैयारी करते रहे, जिसमें श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग भी शामिल है।
हालांकि मंगलवार को, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन और सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि ध्यान फिर से क्षैतिज ड्रिलिंग पर है।
जैन ने कहा कि सिल्क्यारा में सुबह काम शुरू हुआ और अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह दो या ढाई दिन में खत्म हो जाना चाहिए।
अधिकारियों ने बताया कि मलबे में डाली गई छह इंच की पाइपलाइन के जरिए श्रमिकों तक एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा भेजा गया जिससे तड़के मिले वीडियो से उनके सकुशल होने का पता चला। यह कैमरा सोमवार देर शाम दिल्ली से सिलक्यारा लाया गया था। वीडियो में पीले और सफेद रंग के हेलमेट पहने श्रमिक पाइपलाइन के माध्यम से भेजा गया भोजन प्राप्त करते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई देते हैं।
एक स्क्रीन पर श्रमिकों को देख रहे अधिकारियों को उन्हें निर्देश देते सुना जा सकता है। अधिकारी उन्हें लेंस साफ करने और उन्हें कैमरे पर देखने को कह रहे हैं। अधिकारी उनसे पाइपलाइन के मुंह के पास आने तथा वॉकी-टॉकी का प्रयोग करने के लिए भी कह रहे थे।
हालांकि, बचावकर्मियों को पहली कामयाबी सोमवार को मिली जब उन्होंने मलबे के आरपार 53 मीटर लंबी छह इंच की पाइपलाइन डाल दी।
एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने संवाददाताओं को बताया कि मंगलवार को श्रमिकों को संतरे, केला, मौसमी, दवाइयां और नमक भेजा गया।
छह इंच की ‘लाइफ लाइन’ डाले जाने से पहले श्रमिकों को खाना, पानी, दवाइयों और ऑक्सीजन की आपूर्ति चार इंच के पाइप से की जा रही थी और उनके रिश्तेदार तथा बचावकर्मी उनसे इसी पाइप से बातचीत कर रहे थे।
इस चौड़ी पाइपलाइन से संचार के बेहतर होने के साथ खाद्य सामग्री भी बड़ी मात्रा में भेजी जा सकती है।
सुरंग में फंसे श्रमिकों में शामिल अपने रिश्तेदार प्रदीप किस्कू की कुशलक्षेम जानने के लिए बिहार के बांका से सिलक्यारा पहुंचीं सुनीता हेम्ब्रम ने ‘पीटीआई ‘ से कहा, ‘‘मैंने उनसे सुबह बात की। वह ठीक हैं।’’

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