दिवाली पर स्वास्तिक बनाने का सही तरीका

स्वास्तिक को साथिया या सतिया के नाम से भी जाना जाता है.

वैदिक ऋषियों ने अपने आध्यात्मिक अनुभवों के आधार पर कुछ विशेष प्रतीकों की रचना की. स्वास्तिक इन्हीं संकेतों में से एक है, जो मंगल को दर्शाता है और जीवन में खुशियों को प्रकट करता है.

स्वास्तिक का अर्थ है कुशल और कल्याणकारी

स्वस्तिक शब्द को सु और अस्ति का मिश्रण माना जाता है. सु का अर्थ है शुभ और अस्ति का अर्थ है -शुभ होना, कल्याण होना

क्या है स्वस्तिक बनाने का तरीका

क्या है स्वस्तिक बनाने का तरीका

स्वस्तिक में 2 सीधी रेखाएं होती हैं, जो एक दूसरे को काटती हैं, जो बाद में मुड़ जाती हैं. इसके बाद ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ा आगे की ओर मुड़ जाती हैं.

स्वास्तिक बनाने का सबसे पहला तरीका

“घड़ी की दिशा में स्वास्तिक” जिसमें आगे की ओर इशारा करते हुए रेखाएं हमारे दायीं ओर मुड़ जाती हैं

स्वास्तिक बनाने का दूसरा तरीका

स्वास्तिक बनाने का दूसरा तरीका

काउंटर क्लॉकवाइज स्वास्तिक है जिसमें रेखा हमारे बाईं ओर मुड़कर पीछे की ओर इशारा करती है

पूजा स्थल और चौखट पर स्वस्तिक

पूजा स्थल और चौखट पर स्वस्तिक

7 अंगुल, 9 अंगुल अथवा 9 इंच के प्रमाण में स्वस्तिक बनाने का विधान है. मंगल कार्यों के अवसर पर पूजा स्थल और चौखट पर स्वस्तिक बनाने की परंपरा है.