देहरादून, नौ नवंबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2000 में उत्तराखंड गठन के बाद नई पहचान के साथ राज्य के परिश्रमी लोगों ने विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं । उत्तराखंड के 23 वें राज्य स्थापना दिवस पर यहां पुलिस लाइंस में आयोजित एक कार्यक्रम में परेड का निरीक्षण करने के बाद बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने समस्त प्रदेशवासियों को बधाई दी और कहा कि राज्य गठन के बाद नई पहचान के साथ यहां के परिश्रमी लोगों ने विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं ।
उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि देवी-देवताओं के विशेष आशीर्वाद से समृद्ध इस भूमि के निवासी सुख, समृद्धि और विकास की नई ऊंचाइयों तक अवश्य पहुंचेंगे ।
कार्यक्रम में इस दौरान उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे ।
आंदोलनकारी सुशीला बलूनी, माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला बछेंद्री पाल और चिपको आंदोलन नेत्री गौरा देवी जैसी महिलाओं का विशेष जिक्र करते हुए मुर्मू ने कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से पवित्र उत्तराखंड को देवभूमि कहने की परंपरा वंदनीय है लेकिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती एवं शक्ति के अन्य पूजनीय स्वरूपों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली तथा गंगा-यमुना जैसी नदी-माताओं के स्नेह से सिंचित यह पावन धरती ‘देवी-भूमि’ भी है।
पिछले साल दिसंबर के अपने उत्तराखंड दौरे को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यहां आने का प्रत्येक अवसर तीर्थ-यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह होता है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया है ।
इस संबंध में उन्होंने कहा कि उन्हें नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023 को अनुमति देने में विशेष प्रसन्नता हुई थी क्योंकि यह उत्तराखंड सहित देश की बहनों और बेटियों के लिए राष्ट्र-निर्माण में उच्च-स्तरीय योगदान देने हेतु मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की यह भूमि वीर-प्रसवा रही है और स्वाधीनता के बाद के सभी युद्धों में यहां के वीरों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में आधारभूत संरचनाओं का विकास तेजी से हो रहा है और आपदा प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हो रही बहु-आयामी प्रगति से निवेशकों में उत्साह बढ़ रहा है।
अगले माह देहरादून में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि पिछले सप्ताह तक 81,500 करोड़ रु से अधिक के निवेशक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं और इस राशि में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड के विकास में पारिस्थितिकी एवं आर्थिकी दोनों पर ज़ोर दिया जा रहा है जबकि राज्य सरकार द्वारा ‘ग्रॉस इन्वायरमेंट प्रॉडक्ट’ यानी जीईपी का आकलन करने की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में ‘स्टेट जीडीपी’ के साथ साथ ‘स्टेट जीईपी’ पर ध्यान देने से सतत विकास को बल मिलेगा।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने राज्य की चार विभूतियो-माधुरी बड़वाल, बसंती बिष्ट, सचिदानन्द भारतीय तथा राजेन्द्र सिंह बिष्ट को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा के लिए उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया ।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने भी राष्ट्रपति को इस मौके पर स्मृति चिहन भेंट किए ।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड की इस पवित्र धरती पर देश-विदेश के कोने-कोने से लोग यात्रा करने आते हैं। उन्होंने कहा कि आदि कैलाश और जागेश्वर धाम में प्रधानमंत्री के भ्रमण से मानसखण्ड क्षेत्र को देश और दुनिया में एक नई पहचान मिली है ।
उन्होंने कहा कि प्रदेश आर्थिक प्रगति की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि विकास का लाभ गरीबों, वंचितों, किसानों और उत्तराखंड के दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंचे ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आंदोलनकारियों का नमन करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी जी का स्मरण किया जिनके कार्यकाल में उत्तराखंड अलग राज्य बना ।
उन्होंने कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वाजपेयी द्वारा पुष्पित और पल्लवित इस युवा उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए पूरी निष्ठा के साथ निरंतर प्रयासरत रहें।
राष्ट्रपति को भारत के सभी नागरिकों और विशेष रूप से गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए आशा की किरण बताते हुए धामी ने कहा कि वह सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण का जीता जागता प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए दिन रात कार्य कर रही हैं। उन्होंने इस संबंध में भर्ती घोटाला करने वालों पर कार्रवाई, नकल विरोधी कानून लागू करने, पहली बार धर्मांतरण रोकने के लिए कानून लागू करने, पहली बार उत्तराखंड में सामान नागरिक आचार संहिता कानून लागू करने की तैयारी करने, प्रदेश की महिलाओं के लिये 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था करने जैसे कई कामों का जिक्र किया और कहा कि अनेक काम 23 सालों में पहली बार हुए ।