देश की खबरें | सेना ने अमशीपोरा में फर्जी मुठभेड़ मामले में कैप्टन की बर्खास्तगी की पुष्टि की

नयी दिल्ली, 14 नवंबर सेना ने जुलाई 2020 में दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा में एक फर्जी मुठभेड़ में तीन लोगों के मारे जाने और उन्हें आतंकवादी करार देने के मामले में कैप्टन भूपेन्द्र सिंह को बर्खास्त करने की पुष्टि की है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इस बीच, सिंह ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण से अपनी आजीवन कारावास की सजा पर रोक और जमानत हासिल कर ली।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, ‘कोर्ट ऑफ इनक्वायरी’ के निष्कर्षों और कैप्टन की दोषसिद्धि तथा सजा की पुष्टि सेना के उच्च अधिकारियों ने 11 नवंबर को की, जैसा कि कानून के तहत जरूरी है।
उन्होंने बताया कि सिंह को जम्मू की एक सिविल जेल में लाया गया और बाद में 11 नवंबर को ही न्यायाधिकरण के निर्देशों के अनुसार जमानत पर रिहा कर दिया गया।
सजा की पुष्टि के अनुसार, अधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। 2015 में सेना में शामिल हुए सिंह अब पेंशन और अन्य सभी लाभों से वंचित हो जाएंगे।
जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले के रहने वाले तीन लोग- इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार 18 जुलाई 2020 को शोपियां जिले के एक पर्वतीय गांव में मारे गए थे और उन्हें ‘‘आतंकवादी’’ करार दिया गया था।
न्यायाधिकरण ने नौ नवंबर को 25 पन्नों के अपने आदेश में कहा था कि इस कृत्य के लिए सिंह का कोई मकसद नहीं रहा होगा।
न्यायाधिकरण ने उनकी दोषसिद्धि और सेवा से बर्खास्त करने जैसी अन्य सज़ाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ ने कहा, “हमने केवल जेल की सजा पर रोक लगाई है, इसलिए इस अपील के लंबित रहने के दौरान सेवा से बर्खास्त करने आदि जैसी अन्य सभी सजाएं लागू रहेंगी।”
सिंह के वकील मेजर (सेवानिवृत्त) सुधांशु एस पांडे ने उम्मीद जताई कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण उनके मुवक्किल की दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई करेगा।
पांडे ने यहां पीटीआई- से कहा, ”एक युवा अधिकारी ने अपनी नौकरी खो दी है लेकिन हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है कि उसके साथ न्याय होगा और उसका सम्मान बहाल किया जाएगा।”

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