देश की खबरें | सात एकीकृत निगरानी चौकी के लिए भूमि अधिग्रहण में देरी की जिम्मेदारी बंगाल सरकार की : गृह मंत्रालय

नयी दिल्ली, सात नवंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से सटी सीमा पर सात एकीकृत निगरानी चौकी (इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट) स्थापित करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। माल और यात्रियों की सीमापार आवाजाही को सुगम बनाने के लिए इन चौकियों को स्थापित किया जाना है।
वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से सटी भारत की सीमाओं पर कुल 14 स्थानों को चिह्नित किया गया है।
आईसीपी से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा में और सुधार होने के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और संबंधों में भी सुधार होने की उम्मीद है।
चिह्नित स्थानों में नेपाल की सीमा पर रुपईडीहा, सोनौली (दोनों उत्तर प्रदेश में), बनबसा (उत्तराखंड), भिठामोर (बिहार) और पानीटंकी (पश्चिम बंगाल) और भूटान की सीमा पर स्थित पश्चिम बंगाल का जयगांव शामिल है।
अन्य प्रस्तावित आईसीपी बांग्लादेश की सीमा पर स्थित होंगे। आईपीसी के इन स्थलों में मेघालय का दावकी, मिजोरम का कावरपुइचुआ, त्रिपुरा का सबरूम और पश्चिम बंगाल के फुलबारी, महादीपुर, घोजाडांगा, हिली और चांगराबांधा शामिल हैं।
आईसीपी का संचालन भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (एलपीएआई) द्वारा किया जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत एक संस्थान है।
केंद्र की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पश्चिम बंगाल में सात आईसीपी के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करके इसे सात फरवरी, 2022 को राज्य सरकार को सौंप गया था। सभी आईसीपी के लिए स्थान चिह्नित किये गये, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक इन स्थानों के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू नहीं किया है। एलपीएआई भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ नियमित रूप से समन्वय कर रहा है।’’
दावकी,कावरपुइचुआ, सोनौली और सबरूम में आईपीसी की स्थापना का काम विकास के चरण में है। अधिकारियों ने कहा कि रूपईडीहा स्थित आईपीसी का 93 फीसदी निर्माण काम पूरा हो चुका है और राज्य सरकार की ओर से सोनौली में आईपीसी के निर्माण के लिए 106.54 एकड़ भूमि एलपीएआई को हस्तांतरित की गई है। उन्होंने कहा कि दावकी स्थित आईसीपी का 87.5 फीसदी निर्माण काम पूरा हो चुका है।
बनबसा में आईसीपी के लिए भारत-नेपाल सीमा पर चिह्नित जगह को अंतिम रूप दिया गया है और इसका संचालन 2026 तक शुरू होने की संभावना है।
भिठामोर में आईसीपी के लिए भूमि की लागत के रूप में 97.81 करोड़ रुपये का भुगतान राज्य सरकार को किया गया है। यहां आईसीपी के लिए कुल 26.42 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है।
कावरपुइचुआ में आईसीपी के लिए राज्य सरकार ने लीज पर ली गई 21.5 एकड़ भूमि को एलपीएआई को हस्तांतरित कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह कावरपुइचुआ में आईसीपी के लिए आस-पास की अतिरिक्त 30-40 एकड़ जमीन भी हस्तांतरित कर दे।

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