नयी दिल्ली, 10 नवंबर नगालैंड सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराया कि राज्य विधानसभा ने स्थानीय शहरी निकायों (यूएलबी) में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने वाला विधेयक पारित कर दिया है और चुनाव प्रक्रिया अगले वर्ष अप्रैल तक समाप्त हो जाएगी।
नगालैंड विधानसभा ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया, जिससे विवादास्पद आरक्षण के मसले का समाधान हो गया और दो दशकों के बाद राज्य में नगरपालिका चुनावों का मार्ग प्रशस्त हुआ है। राज्य में आखिरी बार निकाय चुनाव 2004 में हुए थे।
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने विधेयक पारित होने के बाद कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान इसमें किया गया है। शीर्ष अदालत इस पूर्वोत्तर राज्य में यूएलबी में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की मांग करने वाली पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है।
नगालैंड के वकील ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि चूंकि विधेयक अब पारित हो गया है, इसलिए संबंधित नियम शीघ्रता से बनाए जाएंगे।
वकील ने पीठ से कहा, ‘‘हम यह भी कहना चाहते हैं कि यह संपूर्ण प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और हम अप्रैल 2024 तक परिणाम घोषित करेंगे।’’
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उनके (नागालैंड के वकील) अनुसार, नियम एक महीने के भीतर तैयार किए जाएंगे और चुनाव प्रक्रिया 30 अप्रैल, 2024 तक समाप्त हो जाएगी।’’
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर तय की है।
जुलाई में मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यूएलबी में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की संवैधानिक योजना को लागू नहीं करने पर केंद्र और नगालैंड सरकार को फटकार लगाई थी।
याचिकाकर्ता पीयूसीएल और अन्य ने चुनाव रद्द करने के खिलाफ शीर्ष अदालत के समक्ष एक अर्जी दायर की है और चुनाव प्रक्रिया के संबंध में 14 मार्च के आदेश की ‘अवज्ञा’ करने के लिए संबंधित लोगों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
चुनाव कार्यक्रम रद्द करने वाली एसईसी द्वारा जारी 30 मार्च की अधिसूचना को रद्द करने की मांग के अलावा, अर्जी में नगालैंड नगरपालिका (निरसन) अधिनियम, 2023 को भी रद्द करने का अनुरोध किया गया है।