प्रदूषण पर न्यायालय का निर्देश CM केजरीवाल के चेहरे पर तमाचा, दिल्ली को ‘गैस चैंबर’ में बदलने पर माफी मांगें: भाजपा

नयी दिल्ली, 7 नवंबर : भाजपा ने मंगलवार को कहा कि प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय का निर्देश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के चेहरे पर तमाचा है और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी को ‘गैस चैंबर’ में बदलने के लिए माफी मांगनी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की टिप्पणी तब आई जब शीर्ष अदालत ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के बीच पराली जलाए जाने की घटनाओं पर “तत्काल” रोक लगाई जानी चाहिए. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि दिल्ली को साल-दर-साल इस हाल में नहीं छोड़ा जा सकता. पीठ ने पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, ”हर बार राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती.” न्यायालय ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि शहर में ठोस कचरा खुले में न जलाया जाए. शीर्ष अदालत के निर्देश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘‘दिल्ली में वायु प्रदूषण और पंजाब में पराली जलाने के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय द्वारा आम आदमी पार्टी की पूरी पोल खोले जाने के बाद अरविंद केजरीवाल को पिछले आठ साल में दिल्ली को गैस चैंबर बनाने और स्वच्छ हवा में सांस लेने का हमारा हक छीनने के लिए माफी मांगनी चाहिए.’’

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि केजरीवाल दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए “दीपावली सहित अन्य को दोषी ठहराते हैं”. दिल्ली सरकार को अदालत द्वारा दिए गए निर्देश पर भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, “यह अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर एक तमाचे की तरह है.” लगातार पांच दिन तक वायु गुणवत्ता के ‘अति गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद मंगलवार को सुबह दिल्ली में प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया. पीएम2.5 की सांद्रता राजधानी में सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक है जो श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर जाते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर बनाते हैं.

यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना अधिक पाया गया है. हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर तक खराब होने की सूचना है. गाजियाबाद में एक्यूआई 338, गुरुग्राम में 364, नोएडा में 348, ग्रेटर नोएडा में 439 और फरीदाबाद में 382 दर्ज किया गया.

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