नयी दिल्ली, सात नवंबर वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना मंगलवार को उच्चतम न्यायालय की पड़ताल के दायरे में आयी, जिसने इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाया और कहा कि यह ‘‘दिखाने के लिए’’ लागू की जा रही।
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण को कम करने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से सवाल किया कि क्या सम-विषम योजना तब सफल हुई थी जब इसे पहले लागू किया गया था।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, ‘‘यह सब दिखाने के लिए किया गया है, यही दिक्कत है।’’
अदालत की यह टिप्पणी दिल्ली सरकार द्वारा दिवाली के एक दिन बाद 13 नवंबर से कार के लिए सम-विषम योजना लागू करने के फैसले की घोषणा करने के एक दिन बाद आयी। दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ने की आशंका है।
शीर्ष अदालत वायु प्रदूषण पर पर्यावरणविद् एम सी मेहता द्वारा 1985 में दायर एक याचिका पर विचार कर रही है और मामले की सुनवाई के दौरान पराली जलाने का मुद्दा सामने आया।
मंगलवार को सुनवाई के बाद, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार सम-विषम कार योजना को अंतिम रूप देते समय प्रदूषण पर शीर्ष अदालत के निर्देशों को ध्यान में रखेगी।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में वृद्धि के बीच, उच्चतम न्यायालय ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि पराली जलाना “तत्काल” रोका जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह प्रदूषण के कारण “लोगों को मरने” नहीं दे सकती।
पीठ ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया कि नगर निगम का ठोस कचरा खुले में नहीं जलाया जाए।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब होने पर मंत्री ने सोमवार को घोषणा की थी कि दिल्ली में 13 से 20 नवंबर तक सम-विषम योजना लागू की जाएगी।
मंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘दिवाली के बाद दिल्ली में सम-विषम योजना लागू होगी, जो 13 नवंबर से 20 नवंबर तक चलेगी। योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय 20 नवंबर के बाद किया जाएगा।’’
वर्ष 2016 में शुरू की गई, सम-विषम कार योजना कारों को उनके विषम या सम नंबर प्लेट के आधार पर वैकल्पिक दिनों में चलाने की अनुमति देती है। यह योजना अगले सप्ताह चौथी बार लागू होगी जब दिल्ली सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए इस योजना को लागू करेगी।
‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ द्वारा किए गए 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, राजधानी में पीएम 2.5 प्रदूषण में वाहन उत्सर्जन का योगदान लगभग 40 प्रतिशत है।