देहरादून, आठ नवंबर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदनशील उत्तराखंड में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन एक चुनौती भी है और एक अवसर भी।
पौड़ी के श्रीनगर में स्थित हेमवती नंदन बहुगणा विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड पर्यावरण की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है और यहां मैदानी और तटीय इलाकों की तरह बड़े उद्यम स्थापित करने की अपनी सीमा है।
उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए संसाधनों के उचित उपयोग के लिए नई पहलों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कैसे आर्थिक विकास किया जाए और रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं, यह आपके सामने चुनौती भी है और अवसर भी।’’
उत्तराखंड को सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व का स्थान बताते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि
जीवनदायिनी गंगा और यमुना का उदगम स्थल होने के अलावा यहां बदरीनाथ, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थस्थल हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की गुफाओं और कंदराओं में भारत के ऋषि-मुनियों के तप का बल है और क्षेत्र के जलस्रोत मैदानी क्षेत्रों में वनस्पतियों और मानव को जीवन प्रदान करते हैं।
हालांकि, राष्ट्रपति ने कहा कि पहाड़ों पर जीवन संघर्षपूर्ण है। इस संबंध में उन्होंने हाल में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में पलायन और यहां के संघर्षपूर्ण जीवन को दर्शाने वाली सृष्टि लखेड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एक था गांव’ को सर्वश्रेष्ठ गैर फीचर फिल्म का पुरस्कार मिलने का जिक्र किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात का संतोष है कि केंद्र और राज्य की सरकारें संतुलित विकास और स्थानीय रोजगार सृजन पर ध्यान दे रही हैं।
उन्होंने दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 44 विद्यार्थियों में से 30 लड़कियों के होने पर भी खुशी जाहिर की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई देते हुए उन्हें आगामी जीवन के लिए तीन महत्वपूर्ण सलाहें भी दीं। उन्होंने कहा कि पहली बात यह कि अपनी जड़ों का न भूलें, दूसरा-अपने नैतिक मूल्यों जैसे सच्चाई, ईमानदारी और निष्पक्षता से कभी समझौता न करें और तीसरा- आपके शिक्षा प्राप्त करने में समाज के योगदान को देखते हुए उसमें पीछे छूट गए लोगों की भरसक मदद करें।
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