नयी दिल्ली, नौ नवंबर उच्चतम न्यायालय ने फाइबरनेट मामले में अग्रिम जमानत का आग्रह करने वाली तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की याचिका पर सुनवाई बृहस्पतिवार को 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले को यह कहते हुए टाल दिया कि कौशल विकास घोटाला मामले में नायडू द्वारा दायर एक अन्य याचिका पर फैसला अदालत की दीपावली की छुट्टियों के बाद आने की संभावना है।
पीठ ने कहा, “उसी याचिकाकर्ता की एक और याचिका है जिसमें कुछ मुद्दे हैं जिसमें इस पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले को 30 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।”
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, नायडू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह प्रारंभिक व्यवस्था जारी रहनी चाहिए कि पुलिस नायडू को गिरफ्तार नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत ने पूर्व में आंध्र प्रदेश पुलिस से कहा था कि कौशल विकास घोटाला मामले में याचिका पर फैसला सुनाए जाने तक फाइबरनेट मामले में नायडू को गिरफ्तार न किया जाए।
इसने आंध्र प्रदेश पुलिस से कहा था, ”पहले की व्यवस्था को जारी रहने दें।”
पीठ आंध्र प्रदेश पुलिस के 13 अक्टूबर के बयान का संदर्भ दे रही थी जिसमें कहा गया था कि पुलिस नायडू को हिरासत में नहीं लेगी।
न्यायमूर्ति बोस ने कहा कि चूंकि आदेश एक अन्य याचिका पर सुरक्षित रखा गया है, इसलिए यह उचित होगा कि अदालत फैसला सुनाए जाने के बाद नायडू की तात्कालिक याचिका पर विचार करे।
आंध्र प्रदेश पुलिस ने 13 अक्टूबर को शीर्ष अदालत से कहा था कि कौशल विकास निगम घोटाला मामले से संबंधित नायडू की याचिका शीर्ष अदालत में लंबित होने के कारण वह 18 अक्टूबर तक फाइबरनेट मामले में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के नेता को गिरफ्तार नहीं करेगी।
आपराधिक जांच विभाग ने आरोप लगाया है कि टेंडर देने से लेकर काम पूरा होने तक परियोजना में अनियमितताएं बरती गईं, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ।
नायडू (73) पर 2015 में मुख्यमंत्री रहने के दौरान कौशल विकास निगम के धन का दुरुपयोग करने और राज्य के खजाने को 371 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। उन्हें इस मामले में नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। वह राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं।